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मनरेगा योजना में जांच के नाम पर बरगलाया जा रहा है,दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी- उपविकास आयुक्त


 मनरेगा योजना में जांच के नाम पर बरगलाया जा रहा है,दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी- उपविकास आयुक्त

गिरिडीह:-जमुआ प्रखंड के बेरहाबाद पंचायत अंतर्गत अरवाटा़ंड टोला में मनरेगा योजना में राशि गबन को लेकर लाभुक अरवाटांड़ निवासी बाबुलाल महतो ने दिनांक 26/05/2020 को प्रखंड विकास पदाधिकारी से लेकर उप विकास आयुक्त को आवेदन दिया था ।आवेदन के आधार पर जांच किया गया । इसके बावजूद भी लाभुक को उचित न्याय नहीं मिला है ।इसकी शिकायत लाभुक ने पत्रकारों से की और इस बाबत पत्रकारों ने जब उप विकास आयुक्त शशि भूषण मेहरा से जांच रिपोर्ट पर सवाल खड़ा किया तो अधिकारी ने कहा कि मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब रहे की बेरहाबाद पंचायत के आरवाटांड टोला में लाभुक बाबूलाल महतो के नाम से बकरी शेड निर्माण की योजना 2017 में पास हुई थी ।जिसका योजना कोड 341900800/70809010851117 है ।शेड निर्माण कार्य वर्ष 2019 में पुर्ण भी कर दिया गया है । जबकि लाभुक को अब तक ₹1 का भी भुगतान नहीं किया गया है ‌। लाभुक श्री महतो ने बताया कि मैं जब मनरेगा कार्यालय जमुआ में शेड की राशि भुगतान करने की बात कहा तो कार्यालय में मौजूद मनरेगा कर्मी ने कहा कि आपका शेड की राशि का निकासी हो गया है । राशि निकासी की जानकारी होते ही   उन्होंने सबसे पहले प्रखंड विकास पदाधिकारी जमुआ को आवेदन देकर जांच की मांग की। महीनों बीत जाने के बावजूद भी सब कुछ कार्यवाही नहीं हुई तो उन्होंने इसकी शिकायत उप विकास आयुक्त गिरिडीह से की। जांच के नाम पर यहां से भी उसे धोखा ही मिला।

इस बाबत  बाबूलाल महतो ने बताया कि उन्होंने उप विकास आयुक्त को आवेदन देकर राशि गबन की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की थी उनके आवेदन के आधार पर विकास आयुक्त ने एक टीम गठित कर मामले की जांच कराया गया । टीम ने जो जांच रिपोर्ट दिया उसमें कहा गया है कि बकरी शेड निर्माण का जांच किया गया जहां बकरी शेड में बकरी नहीं पाया गया । बकरी शेड में जेट पंप रखा हुआ था ।

सवाल उठता है कि लाभुक ने बकरी शेड निर्माण को लेकर राशि की गबन को लेकर जांच की मांग की थी लेकिन जांच अधिकारी ने बकरी से उपयोग को लेकर जांच रिपोर्ट दी है साथ ही पंचायत सचिव एवं पंचायत सेवक पर मनरेगा योजना में बेहतर कार्य नहीं करने का दोषी पाते हुए अधिकतम ₹1000 रु जुर्माना लगाने की भी अनुशंसा की गई है ।

अधिकारियों का यही रवैया रहा तो मनरेगा योजना की लाभ आम ग्रामिणों या लाभुक को कैसे मिल रहा है । यह बहुत ही बड़ा जांच का विषय है । साथ ही अधिकारियों पर सवाल उठने लगेंगे ।


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