Sawan 2023: आज से शिव आस्था और भक्ति का पवित्र श्रावण मास शुरू, 8 सोमवार के साथ 2 माह चलेगा सावन का महीना


Picsart_23-03-27_18-09-27-716
Picsart_23-02-13_12-29-35-251

Sawan 2023 : आज (4 जुलाई 2023) से शिवजी की आराधना का महापर्व शुरू हो रहा है। इस वर्ष सावन 58 दिनों का होगा यानी शिवजी की पूजा-पाठ और भक्ति के लिए सावन का महीना दो माह का होगा। 4 जुलाई से सावन का पवित्र महीना शुरू होकर 31 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान 18 जुलाई से 16 अगस्त तक अधिक मास रहेगा। इसी कारण से इस वर्ष सावन का महीना 2 महीने का होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु योगनिद्रा में होते हैं। ऐसे में सृष्टि का संचालन भगवान शिव के हाथों में रहता है। अधिकमास के चलते इस बार चातुर्मास चार के बजाय पांच महीनों का होगा। सावन का महीना भगवान शिव को बहुत ही प्रिय होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार सावन का महीना पांचवां महीना होता है। 

सावन माह की प्रमुख तिथियां

इस साल अधिकमास के कारण सावन का महीना 58 दिनों तक चलेगा। सावन महीने की शुरुआत के साथ ही कई व्रत-त्योहार भी आरंभ हो जाते हैं। 4 जुलाई से सावन का महीना शुरू होकर 31 अगस्त तक रहेगा। इस दौरान कई  त्योहार मनाए जाएंगे। 6 जुलाई को संकष्टी चतुर्थी, 13 जुलाई को कामिका एकादशी, 15 जुलाई को मासिक शिवरात्रि, 17 जुलाई को श्रावण माह की अमावस्या, 19 अगस्त को हरियाली तीज, 21 अगस्त नाग पंचमी, 30 अगस्त को रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाएगा।

सावन महीने का महत्व

हिंदू कैलेंडर के अनुसार सावन का महीना पांचवां महीना होता है। आषाढ़ खत्म होते ही श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से सावन का पवित्र महीना शुरू हो जाता है। इस माह को श्रावण के नाम से भी जाना जाता है। श्रावण का महीना भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना होता है। भोले भंडारी को सावन का महीना प्रिय होने के पीछे एक कथा है, दरअसल सावन के महीने ही मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था जिससे भगवान शिव प्रसन्न होकर मां पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। सावन के महीने में शिवलिंग का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक का विशेष महत्व होता है। पूरे सावन महीने के दौरान हर दिन शिवजी की पूजा-उपासना करने पर सभी तरह की मनोकामना जल्दी पूरी होती हैं। सावन के महीने में सोमवार व्रत, मासिक शिवरात्रि और कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व होता है।

सावन सोमवार व्रत का महत्व

इस बार सावन का महीना 58 दिनों तक चलेगा। जिसके कारण से सावन के महीने में कुल 8 सोमवार व्रत रखे जाएंगे। सावन का महीना शिवजी की आराधना के लिए सर्वश्रेष्ठ महीना माना जाता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव जल्द प्रसन्न होकर सभी तरह की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। श्रावण के महीने में तो हर दिन शिवजी और माता पार्वती की पूजा होती है, लेकिन सावन सोमवार का व्रत बहुत ही खास रहता है। शास्त्रों में सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। इस कारण से सावन सोमवार का महत्व होता है। 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने ही मां पार्वती ने भगवान शिवजी को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। मां पार्वती की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। इस तरह से मां पार्वती का विवाह भगवान शिव के साथ हुआ। ऐसे में सावन का महीना भगवान शिव और माता पार्वती दोनों का प्रिय महीना था। इस कारण से सावन के महीने में पड़ने वाले हर सोमवार का काफी महत्व होता है। सावन का महीना और इसमें पड़ने वाले सोमवार व्रत का सुहागिन महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए बहुत ही खास होता है। सावन सोमवार के दिन विवाहित महिलाएं दिनभर व्रत रखते हुए शिवजी और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करते हुए पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। वहीं दूसरी तरफ सावन सोमवार का व्रत कुंवारी कन्याएं शिवजी की पूजा करते हुए अपने लिए सुयोग्य वर की कामना करती हैं।

सावन में कैसे करें शिव आराधना?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने में भोलेभंडारी की पूजा-उपासना और मंत्रोचार करने पर शिवजी जल्दी प्रसन्न होते हैं। सावन के महीने में सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ-सुथरे कपड़े धारण करें। इसके बाद अपने घर के पास स्थित शिव मंदिर जाकर भगवान शिव का गंगाजल, शुद्ध जल, दूध, दही, शहद और गन्ने के रस से अभिषेक करें। भोलेनाथ का अभिषेक करते हुए लगातार ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहें। फिर इसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, धतूरा और शमीपत्र आदि अर्पित करें। फल-पुष्य अर्पित करने के बाद शिव चालीसा का पाठ और शिव आरती करें। वहीं दूसरी तरफ सुहागिन महिलाएं सावन में आने वाले सोमवार का व्रत रखें और मां पार्वती को सोलह श्रृंगार की चीजें अर्पित करते हुए अपनी पति और परिवार की लंबी आयु व सुख-समृद्धि की कामना करें। 

इस बार सावन दो महीने का क्यों?

इस वर्ष सावन का महीना 2 महीनों तक चलेगा यानि सावन में 58 दिन तक शिव आराधना और पूजा-पाठ का दौर चलेगा। दरअसल सावन के महीने में अधिकमास पड़ने के कारण सावन का महीना एक के बजाय दो महीनों का होगा। 19 वर्षों के बाद इस तरह का संयोग दोबारा बना हुआ है जब सावन के महीने में अधिकमास आएगा। सावन के महीने इस बार 8 सोमवार व्रत पड़ने वाले हैं। पहला सोमवार व्रत 10 जुलाई को रहेगा। 

हिंदू पंचांग की गणना सौरमास और चंद्र मास के आधार पर करने की परंपरा है। वैदिक शास्त्र के अनुसार चंद्रमास 354 दिनों का और सौरमास 365 दिन होता है। इस तरह से इन दोनों में 11 दिन का अंतर आता है। हर 3 साल के दौरान यह अंतर 33 दिनों का होता जाता है। इस 33 दिनों को ही अधिकमास कहा जाता है। इस तरह से इस बार सावन के महीने में अधिकमास पड़ने से दो महीनों का सावन होगा। शिवजी की आराधना का खास महीना सावन 4 जुलाई से शुरू हो रहा है और 18 जुलाई से 16 अगस्त तक अधिकमास रहेगा। इसके बाद सावन का शेष महीना शुरू होगा जो कि 31 अगस्त तक रहेगा।

Picsart_23-07-01_21-39-32-545

सावन 2023 तिथि और शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार सावन महीने की शुरूआत हर वर्ष श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। इस वर्ष श्रावण प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 03 जुलाई की शाम को 05 बजकर 9 मिनट से होगी और समापन 04 जुलाई को दोपहर 1 बजकर 39 मिनट पर होगा। उदया तिथि के आधार पर सावन  महीने की शुरुआत 4 जुलाई से होगी। 4 जुलाई को सुबह 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 53 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा ऐसे में इस समय शिवजी की पूजा करना फलदायी रहेगा। इसके अलावा सावन महीने की शुरूआत बहुत ही शुभ योग एन्द्र योग में होने जा रही है। इस योग में पूजा-पाठ करने पर बहुत ही शुभफलदायी होता है।

सावन में कैसे करें शिव आराधना?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने में भोलेभंडारी की पूजा-उपासना और मंत्रोचार करने पर शिवजी जल्दी प्रसन्न होते हैं। सावन के महीने में सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ-सुथरे कपड़े धारण करें। इसके बाद अपने घर के पास स्थित शिव मंदिर जाकर भगवान शिव का गंगाजल, शुद्ध जल, दूध, दही, शहद और गन्ने के रस से अभिषेक करें। भोलेनाथ का अभिषेक करते हुए लगातार ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहें। फिर इसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, धतूरा और शमीपत्र आदि अर्पित करें। फल-पुष्य अर्पित करने के बाद शिव चालीसा का पाठ और शिव आरती करें। वहीं दूसरी तरफ सुहागिन महिलाएं सावन में आने वाले सोमवार का व्रत रखें और मां पार्वती को सोलह श्रृंगार की चीजें अर्पित करते हुए अपनी पति और परिवार की लंबी आयु व सुख-समृद्धि की कामना करें।

सावन में शिवजी को क्या अर्पित करें और क्या नहीं

सावन का महीना भगवान शिवजी की पूजा-आराधना के लिए समर्पित होता है। सावन के महीने में शिवमंदिर में भक्तों की काफी भीड़ एकत्रित होती है। शिवजी को प्रसन्न करने के लिए सावन के महीने में जल, बिल्व पत्र, आंकड़े के फूल, धतूरा, भांग, चंदन, शहद, भस्म और जनेऊ भी जरूर चढ़ाएं। वहीं दूसरी तरफ शिव पुराण के अनुसार भगवन शिव को कुछ चीजें नहीं चढ़ानी चाहिए। शिवजी की पूजा में कभी भी केतकी के फूल, तुलसी दल, हल्दी, शंख जल, सिंदूर, कुमकुम, नारियल और टूटे हुए चावल नहीं चढ़ाना चाहिए।

-Advertisment-

Screenshot_20230213-125858_Gallery
Picsart_23-06-29_11-38-10-352
Picsart_23-06-29_11-35-17-599
Picsart_23-02-13_12-54-53-489
Picsart_22-12-10_00-00-01-405
Picsart_22-02-04_22-56-13-543


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page