Jharkhand Excise Constable: उत्पाद सिपाही भर्ती में हो रही मौतों पर प्रशासन एक्शन मोड में, एसओपी तैयार; बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर लगाया युवकों की मौत का आरोप…


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रांची: झारखंड में उत्पाद सिपाही प्रतियोगिता परीक्षा के लिए अभ्यर्थियों के शारीरिक दक्षता परीक्षा का आयोजन राज्य के रांची समेत सात स्थानों पर किया गया है। झारखंड पुलिस मुख्यालय के अनुसार, दुर्भाग्यवश कुछ केंद्रों पर शारीरिक परीक्षा के दौरान कुछ अभ्यर्थियों की मौत हो गई है। इस घटना को लेकर संबंधित केंद्रों पर यूडी कांड दर्ज किया गया है और मौत के कारणों की जांच की जा रही है।

पुलिस विभाग ने बताया कि हादसे के बाद शारीरिक दक्षता परीक्षा में भाग लेने वाले सभी अभ्यर्थियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं ताकि इस तरह के हादसे दोबारा न हों। प्रत्येक केंद्र पर एक मेडिकल टीम को तैनात किया गया है जिसमें पर्याप्त दवाएं और एंबुलेंस गाड़ियां शामिल हैं। इसके अलावा, दौड़ से पहले पर्याप्त मात्रा में पीने का पानी और ओआरएस पैकेट सभी केंद्रों पर उपलब्ध कराए गए हैं। प्रत्येक केंद्र पर विशेष और मेडिकल बेड भी पर्याप्त संख्या में उपलब्ध हैं, और सभी केंद्रों पर शौचालय की व्यवस्था की गई है।

इसके साथ ही, पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे चयन प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाएं और चयन प्रक्रिया में शामिल सभी अभ्यर्थियों को हर संभव सुविधा उपलब्ध कराएं।

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भाजपा का आरोप: हेमंत सरकार पर उठे सवाल

इधर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन नौकरी बांट रहे हैं या मौत? एक्‍साइज डिपार्टमेंट में सिपाही भर्ती की अधिसूचना 8 अगस्त को निकली, 14 अगस्त को एडमिट कार्ड दिया गया और शारीरिक दक्षता परीक्षण के लिए 22 अगस्त से दौड़ का आयोजन शुरू किया गया। ऐसे में महज 15 दिनों में अभ्यर्थी दौड़ की क्या तैयारी करेंगे?”

बाबूलाल मरांडी ने आगे कहा कि इस तरह की आपाधापी में भादो की उमस भरी गर्मी में दौड़ आयोजित कराने के कारण ही राज्य के छह बेरोजगार युवक मौत के मुंह में समा गए। उन्होंने आरोप लगाया कि हेमंत सरकार ने भर्ती केंद्रों पर ना तो पीने के पानी की उचित व्यवस्था की थी और ना ही शौचालय की। महिला अभ्यर्थी भी इस प्रतियोगिता में भाग ले रही थीं, लेकिन बहाली केंद्रों पर छोटे बच्चों को स्तनपान कराने की भी कोई व्यवस्था नहीं थी।

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