रांची: मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है, जिसमें इस योजना पर रोक लगाने की मांग की गई है। यह याचिका सिमडेगा के निवासी विष्णु साहू द्वारा अधिवक्ता राजीव कुमार के माध्यम से दायर की गई है।
याचिका में मुख्य तर्क यह दिया गया है कि झारखंड में आगामी कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार, राज्य सरकार चुनाव के दौरान किसी भी व्यक्ति विशेष को सीधे खाते के माध्यम से पैसे नहीं दे सकती है। याचिकाकर्ता का कहना है कि जनता के टैक्स के पैसों से ही सरकार संचालित होती है, ऐसे में राज्य सरकार को पब्लिक के परपस के लिए ही पैसा खर्च करना चाहिए, न कि किसी व्यक्ति विशेष को सीधे पैसा देना चाहिए।
याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि पिछले चार महीनों से वृद्धा पेंशन और विकलांग पेंशन जैसी योजनाएं बंद पड़ी हैं, और यह कि मंईयां सम्मान योजना केवल वोटरों को प्रभावित करने के लिए शुरू की गई है। याचिकाकर्ता के अनुसार, इस योजना के माध्यम से राज्य सरकार 40 लाख से अधिक महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। इसके तहत, यदि किसी घर में तीन महिलाएं और बुजुर्ग हैं, तो सरकार उन्हें सालाना 60 हजार रुपये देगी।
इस याचिका के बाद, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया के माध्यम से प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने अपने पोस्ट में कहा, “आखिर भाजपा राज्य की बहनों की भलाई क्यों नहीं चाहती? आखिर उन्हें मंईयां योजना से इतनी तकलीफ क्यों है? उनकी मुझसे तकलीफ, खीज समझ आती है, पर झारखंडियों के हितों पर लगातार कुठाराघात चिंतनीय है। पर हम उनकी यह मंशा कभी सफल नहीं होने देंगे।”
मुख्यमंत्री के इस बयान से साफ जाहिर होता है कि वह इस योजना को लेकर दृढ़ हैं और किसी भी प्रकार के राजनीतिक दबाव के बावजूद इसे बंद नहीं करने का मन बना चुके हैं।
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