गिरिडीह – शहर में रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक बड़े वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। इस तरह के भारी वाहन अक्सर सड़क हादसों का कारण बनते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता राजेश सिन्हा ने प्रशासन से अपील की है कि इन दुर्घटनाओं पर रोक लगाने के लिए कठोर कदम उठाए जाएं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही इस मुद्दे का समाधान नहीं हुआ, तो चुनाव के दौरान बड़े आंदोलन की संभावना बन सकती है।
एक और हादसा, एक और युवा की मौत
हाल ही में हुए सड़क हादसे में कुरैशी मोहल्ला के निवासी बाबू कुरैशी की जान चली गई। हादसा रोटरी आई हॉस्पिटल के पास हुआ, जहां गंभीर रूप से घायल बाबू को आनन-फानन में रेफर किया गया, लेकिन रास्ते में ही उनकी मृत्यु हो गई। बाबू की चार बहनें हैं और वह अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे थे। परिवार और आस-पास के लोगों ने उन्हें एक नेक दिल और मेहनती युवक बताया।
सरकार से मुआवजे और परिवार के संरक्षण की मांग
राजेश सिन्हा ने सरकार से मांग की है कि किसी भी सड़क हादसे में पीड़ित परिवार को तुरंत मुआवजा दिया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि मुआवजा देना ही पर्याप्त नहीं है; बल्कि, सरकार को पीड़ित परिवार के जीवनयापन का ध्यान रखना चाहिए। सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
राजनीतिक दलों से अपील: हादसों का राजनीतिक लाभ न उठाएं
सड़क हादसों के बाद अक्सर प्रभावित परिवारों में आक्रोश होता है। ऐसे में राजनेताओं को अपनी “राजनीतिक रोटी” सेंकने से बचना चाहिए। इससे मामले में अनावश्यक देरी होती है और पोस्टमार्टम, मुआवजे जैसी प्रक्रियाओं में विलंब होता है।
स्थानीय संगठनों का समर्थन
इस घटना में भाकपा माले सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने पीड़ित परिवार का साथ दिया है। गिरिडीह की समस्याओं को हल करने के लिए ऐसे प्रयासों की सराहना की गई है।
सरकार को लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता
सड़क दुर्घटना के बाद मुआवजा प्राप्त करने की प्रक्रिया के तहत पोस्टमार्टम और मुकदमे का प्रावधान होता है। हालांकि, लगभग 70% लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती है। राजेश सिन्हा ने सुझाव दिया है कि सरकार बड़े-बड़े पोस्टरों और बैनरों के माध्यम से लोगों को इस प्रक्रिया के बारे में जागरूक करे।
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