Chhath Puja 2024 Arghya Sunset: छठ पर्व के तीसरे दिन आज डूबते सूर्य को अर्पित होगा अर्घ्य, जानिए इसके पीछे की मान्यता…

Abhimanyu Kumar
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लोक आस्था का प्रमुख पर्व छठ पूरे देश में धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। सूर्य देव और छठी मैया की पूजा के इस पर्व पर व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास रखते हैं और डूबते तथा उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह पर्व संतान की लंबी उम्र, परिवार की समृद्धि और जीवन में सुख-शांति की कामना के लिए किया जाता है।

 

छठ पूजा का पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से आरंभ होकर चार दिनों तक चलता है। इस महापर्व के तीसरे दिन, अर्थात् 07 नवंबर को, व्रती श्रद्धालु डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे। अगले दिन, 08 नवंबर को, उगते सूर्य को दूसरा अर्घ्य अर्पित किया जाएगा, जिसके साथ ही इस महापर्व का समापन होगा। छठ पूजा की परंपरा के अनुसार, भक्तगण शाम के समय जलाशय, नदी या तालाब के किनारे एकत्र होते हैं और सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं।

डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के पीछे मान्यता है कि यह सूर्य देव की दूसरी पत्नी प्रत्यूषा का पूजन है। कहा जाता है कि इस समय अर्घ्य अर्पित करने से सभी कष्टों का निवारण होता है और भक्तों की इच्छाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही, इस पूजा के माध्यम से जीवन में संतुलन, शक्ति और ऊर्जा का संचार होता है।

 

डूबते सूर्य को अर्घ्य का महत्व:

छठ पूजा में डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है। डूबते सूर्य को अर्घ्य देना उस समय का प्रतीक है, जब व्यक्ति अपनी मेहनत और तपस्या का फल प्राप्त करता है। यह विश्वास है कि इस समय अर्घ्य देने से जीवन में संतुलन और शक्ति मिलती है, जिससे व्यक्ति कठिन परिस्थितियों का सामना कर पाता है।

इसके साथ ही, यह मान्यता भी है कि सूर्य देव के अस्त होने का समय जीवन में आत्मनिरीक्षण और संतुलन की ओर प्रेरित करता है। डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने से व्रतियों को शक्ति और आत्मिक ऊर्जा मिलती है, जो जीवन के संघर्षों को आसान बनाने में सहायक होती है।

 

छठ महापर्व: प्रकृति और श्रद्धा का अद्भुत संगम

 

छठ पूजा न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह पर्यावरण और प्राकृतिक तत्वों के प्रति श्रद्धा को भी दर्शाता है। जल, वायु, पृथ्वी और सूर्य की पूजा कर यह पर्व हमें प्रकृति से जुड़ने की प्रेरणा देता है। छठ महापर्व में संतान की लंबी उम्र, परिवार की खुशहाली और जीवन की सभी समस्याओं के निवारण की प्रार्थना की जाती है।

चार दिनों का यह पर्व संयम, त्याग और साधना का पर्व है, जिसमें श्रद्धालु अपनी श्रद्धा से सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं और जीवन की हर समस्या का समाधान प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।

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