दिल्ली में भारतीय संगीत की अमूल्य धरोहर, प्रसिद्ध गायिका और “स्वर कोकिला” के रूप में ख्यात शारदा सिन्हा का निधन हो गया है। अपने मधुर और भावपूर्ण आवाज़ के लिए पहचानी जाने वाली शारदा सिन्हा का योगदान बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोक संगीत में अमूल्य रहा है। उनकी आवाज़ ने दशकों तक देश और विदेश में अपने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया और विशेषकर छठ पर्व पर उनके गीत हर दिल में गूंजते रहे हैं।
अंतिम क्षणों में जारी की थी छठ गीत
अपने निधन से कुछ ही दिन पहले, शारदा सिन्हा ने अस्पताल में रहते हुए छठ पर्व के लिए एक नया गीत जारी किया था। यह उनके प्रशंसकों के लिए एक भावुक क्षण था जब उन्हें अस्पताल से उनके विशेष गीत का शुभारंभ होते देखा। छठ पर्व के गीतों में उनके योगदान को देखते हुए, यह उनकी समर्पण भावना का एक अद्वितीय उदाहरण था। वह अपनी तबीयत के बावजूद छठ पर्व को लेकर अपने चाहने वालों को निराश नहीं करना चाहती थीं।
शारदा सिन्हा का संगीत सफर
शारदा सिन्हा का जन्म बिहार में हुआ और उनकी परवरिश भी वहीं हुई। अपनी लोक संस्कृति और परंपराओं से गहरा लगाव रखने वाली शारदा सिन्हा ने कई दशकों तक अपने गायन के माध्यम से बिहार की सांस्कृतिक धरोहर को संजोए रखा। उन्होंने छठ पूजा के अलावा विवाह गीत, सोहर, कजरी, और होली गीतों को भी अपने सुरों से अमर कर दिया। उनकी आवाज़ में एक मिठास थी जो सीधे श्रोताओं के दिल में उतरती थी।
उनकी प्रमुख प्रस्तुतियों में ‘केलवा के पात पर उगेलन सूरज मल जाके’, ‘हो दीनानाथ’ और ‘पार करिहा हे गंगा मईया’ जैसे छठ गीत आज भी हर बिहारवासी के दिल में बसे हुए हैं। उनके गीतों में बिहार की संस्कृति, परंपरा और भाषा का सुंदर सम्मिलन देखने को मिलता है।
सम्मान और पुरस्कार
शारदा सिन्हा को उनके योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्हें भारत सरकार द्वारा “पद्मश्री” और “पद्मभूषण” जैसे सम्मान प्रदान किए गए, जो भारतीय संगीत में उनके अनमोल योगदान को दर्शाते हैं। उनके अलावा, बिहार सरकार ने भी उन्हें कई बार सम्मानित किया है।
संगीत प्रेमियों के लिए अपूरणीय क्षति
शारदा सिन्हा के निधन से भारतीय लोक संगीत प्रेमियों को अपूरणीय क्षति हुई है। उनके जैसे समर्पित कलाकार, जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी अपनी मिट्टी, अपनी परंपराओं और अपने लोगों के नाम कर दी, दुर्लभ होते हैं। संगीत जगत में उनकी अनुपस्थिति हमेशा खलेगी।
उनके गीतों को सुनकर नई पीढ़ी भी अपनी सांस्कृतिक विरासत से जुड़ती रही है। आने वाले समय में भी उनकी धुनें छठ पर्व के अवसर पर हर दिल में गूंजती रहेंगी और उनकी स्मृति हमारे साथ हमेशा जीवित रहेगी।
👉 गिरिडीह व्यूज की पूरी टीम की और से स्वर कोकिला” के रूप में ख्यात शारदा सिन्हा को भावभीनी श्रद्धांजलि।
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