बिहार के जमुई जिले के खैरा प्रखंड में एक विचित्र मामला सामने आया है, जो प्रशासनिक प्रक्रियाओं की धीमी गति और योजना की खामियों को उजागर करता है। पंचायत शिक्षिका अनीता कुमारी को विशिष्ट शिक्षक पद पर नियुक्ति का पत्र मिला, लेकिन नियुक्ति से पहले ही वे रिटायर हो गईं।
कैसे हुआ ये मामला?
अनीता कुमारी ने 2024 में विशिष्ट शिक्षक पद के लिए आयोजित सक्षमता वन परीक्षा पास की थी। उन्हें 30 दिसंबर, 2024 को विशिष्ट शिक्षक के पद पर नियुक्ति पत्र मिला, जिसमें 1 से 7 जनवरी 2025 के बीच ज्वाइनिंग की बात कही गई थी। परंतु, 31 दिसंबर 2024 को अनीता कुमारी की उम्र 60 साल पूरी हो गई, और उसी दिन वे सेवा निवृत्त हो गईं।
18 साल की सेवा, लेकिन कोई लाभ नहीं
अनीता कुमारी ने दिसंबर 2006 में पंचायत शिक्षिका के रूप में अपना करियर शुरू किया। 2014 में TET पास कर वे हाई स्कूल शिक्षिका बनीं। हालांकि, विशिष्ट शिक्षक बनने की पात्रता हासिल करने के बाद भी, देरी से जारी नियुक्ति प्रक्रिया के कारण वे इस पद के किसी भी लाभ से वंचित रह गईं।
क्या कहती हैं अनीता
अनीता कुमारी का कहना है कि अगर नियुक्ति प्रक्रिया समय पर पूरी होती, तो उन्हें विशिष्ट शिक्षक पद पर कुछ समय के लिए काम करने का अवसर मिल सकता था। अब वे बिना किसी लाभ के रिटायर हो गईं। यह घटना न केवल प्रशासनिक सुस्ती का परिणाम है, बल्कि शिक्षा विभाग की योजना और निष्पादन पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।
यह मामला प्रशासन को यह सिखाने का अवसर देता है कि नियुक्ति और पदोन्नति जैसी प्रक्रियाओं को समय पर पूरा करना कितना महत्वपूर्ण है। ऐसी घटनाओं से न केवल शिक्षकों का मनोबल गिरता है, बल्कि सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिह्न लगते हैं।
मैं अभिमन्यु कुमार पिछले चार वर्षों से गिरिडीह व्यूज में बतौर “चीफ एडिटर” के रूप में कार्यरत हुं,आप मुझे नीचे दिए गए सोशल मीडिया के द्वारा संपर्क कर सकते हैं।