गिरिडीह मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर गिरिडीह जिले के बराकर नदी तट पर ऐतिहासिक खिचड़ी मेले का आयोजन किया गया। इस पावन अवसर पर हजारों श्रद्धालु दूर-दूर से यहां पहुंचे और परंपराओं में भाग लेकर मेले की रौनक बढ़ाई। मेले की खासियत रही श्रद्धालुओं द्वारा मिट्टी के बर्तनों में खिचड़ी बनाकर परिवार के साथ इसका आनंद लेना।
परंपरा से जुड़ा रोचक इतिहास
बराकर नदी के तट पर आयोजित यह मेला ऐतिहासिक महत्व रखता है। माना जाता है कि राजतंत्र काल में जब पालगंज राज्य में हैजा फैल गया था, तब राजा ने चंपानगर को अपनी उप राजधानी घोषित किया था। उसी समय से मकर संक्रांति पर इस मेले की परंपरा शुरू हुई, जो आज भी जारी है।
स्नान, पूजा और पारंपरिक खिचड़ी का उत्सव
श्रद्धालु मेले में सबसे पहले पवित्र बराकर नदी में स्नान करते हैं, जिसे गंगा के समान पवित्र माना जाता है। स्नान के बाद नदी किनारे स्थित शिव मंदिर में पूजा-अर्चना की जाती है। मेले की खासियत यह है कि यहां श्रद्धालु मिट्टी के बर्तनों में खिचड़ी बनाते हैं और इसे परिवार संग पिकनिक की तरह मनाते हैं।
आस्था और सामुदायिक एकजुटता का प्रतीक यह मेला
यह मेला न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि स्थानीय संस्कृति और परंपरा का जीवंत उदाहरण भी है। यहां उमड़ने वाली भीड़ न केवल इस परंपरा को जीवित रखती है, बल्कि सामाजिक एकजुटता का संदेश भी देती है।
इस वर्ष भी हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने इस ऐतिहासिक आयोजन को सफल और यादगार बनाया। मेले में दिखा उत्साह और श्रद्धा स्थानीय संस्कृति की गहराई और समृद्धि का परिचायक है।
मैं अभिमन्यु कुमार पिछले चार वर्षों से गिरिडीह व्यूज में बतौर “चीफ एडिटर” के रूप में कार्यरत हुं,आप मुझे नीचे दिए गए सोशल मीडिया के द्वारा संपर्क कर सकते हैं।