IITian Baba at Mahakumbh: महाकुंभ में छाए इंजीनियर बाबा, कैसे IIT बॉम्बे के एयरोस्पेस इंजीनियर ने करोड़ों की नौकरी छोड़ और अपनाया संन्यास का जीवन…

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प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में इस बार का महाकुंभ दुनिया भर के श्रद्धालुओं और संतों का केंद्र बना हुआ है। आस्था और विश्वास का यह आयोजन अपने आप में खास है, लेकिन इस बार श्रद्धालुओं और साधुओं के बीच एक अनोखे बाबा चर्चा का विषय बने हुए हैं। इन्हें लोग इंजीनियर बाबा के नाम से जानते हैं। हरियाणा के मूल निवासी अभय सिंह, जो कभी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर करोड़ों का पैकेज लेने वाले थे, आज आध्यात्मिकता के प्रतीक बन गए हैं।

उनकी कहानी न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह भी बताती है कि जिंदगी के कई रास्ते हैं, और हर किसी का लक्ष्य केवल बाहरी सफलता नहीं, बल्कि आत्मिक शांति भी हो सकता है। आइए, जानते हैं उनके इस अनोखे सफर के बारे में।

शुरुआत: IIT बॉम्बे से लाखों का पैकेज

इंजीनियर बाबा का असली नाम अभय सिंह है। हरियाणा के रहने वाले अभय ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई वहीं पूरी की और इसके बाद भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में स्नातक किया। पढ़ाई के दौरान ही उनका चयन एक प्रतिष्ठित कंपनी में हुआ, जिसने उन्हें लाखों रुपये के पैकेज की पेशकश की।

हालांकि, कुछ समय तक काम करने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि यह जीवन उनके लिए नहीं है। बचपन से उन्हें ट्रैवल फोटोग्राफी का शौक था और नौकरी करते हुए भी यह शौक उनके दिल में जिंदा था।

नौकरी छोड़कर फोटोग्राफी और दर्शनशास्त्र की ओर रुझान

अपनी नौकरी छोड़ने के बाद अभय सिंह ने ट्रैवल फोटोग्राफी का कोर्स किया और देशभर में घूमना शुरू किया। इस दौरान उन्होंने जिंदगी को एक नए नजरिए से देखना शुरू किया। ट्रैवल फोटोग्राफी के दौरान वह विभिन्न दर्शनों और परंपराओं के करीब आए।

उनके अनुसार, “इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान भी मैं दर्शनशास्त्र की किताबें पढ़ता था। मैंने सुकरात, प्लेटो और नवउत्तरवाद के सिद्धांतों को पढ़ा। ये किताबें मेरे जीवन का हिस्सा बन गईं। धीरे-धीरे मैंने महसूस किया कि मेरी तलाश आध्यात्मिकता में है।”

कोचिंग सेंटर चलाया, लेकिन मन आध्यात्म में लगा

ट्रैवल फोटोग्राफी के बाद उन्होंने कुछ समय तक एक कोचिंग सेंटर भी चलाया, जहां वह छात्रों को फिजिक्स पढ़ाते थे। लेकिन उनका मन यहां भी नहीं लगा। उनका ध्यान हमेशा दर्शन और आध्यात्म की ओर जाता था। उन्होंने तय कर लिया कि अब वह पूरी तरह से साधु जीवन अपनाएंगे।

भगवान शिव को समर्पित जीवन

इंजीनियर बाबा का कहना है कि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी भगवान शिव को समर्पित कर दी है। उनका मानना है कि शिव ही सत्य हैं और सत्य ही सुंदर है। आध्यात्मिकता को अपनाने के बाद उन्होंने काशी, हरिद्वार, ऋषिकेश और अन्य धार्मिक स्थलों पर समय बिताया।

उनका कहना है, “अब मुझे आध्यात्म में शांति मिलती है। मैं साइंस के जरिए आध्यात्म को समझ रहा हूं। दोनों का मेल ही असली सत्य है।”

महाकुंभ का अनुभव: अंग्रेजी में चर्चा का केंद्र

महाकुंभ में आए श्रद्धालु और पत्रकार इंजीनियर बाबा के आकर्षण का केंद्र हैं। उनकी फर्राटेदार अंग्रेजी, गहरी सोच, और दर्शन के प्रति उनकी पकड़ सभी को प्रभावित कर रही है। वह न केवल शिव भक्ति में लीन हैं, बल्कि दर्शन, विज्ञान, और योग के बारे में अपनी गहरी समझ को भी साझा कर रहे हैं।

उनके अनुसार, “महाकुंभ में आकर संगम की पवित्रता को महसूस करना एक अद्वितीय अनुभव है। यह जगह आत्मा को शांति और दिल को सुकून देती है।”

सोशल मीडिया पर सक्रियता

इंजीनियर बाबा ने अपनी विचारधारा को सोशल मीडिया पर भी साझा किया है। उनके इंस्टाग्राम हैंडल पर 4342 फॉलोअर्स हैं। उन्होंने अब तक 645 पोस्ट किए हैं, जो मुख्य रूप से ध्यान, योग, और कालचक्र जैसे विषयों से जुड़े हैं। उन्होंने अपनी एक किताब का लिंक भी इंस्टाग्राम पर शेयर किया है।

उनके एक पोस्ट में लिखा है, “मां-बाप भगवान नहीं हैं, बल्कि भगवान ही भगवान हैं। सत्य को जानना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।” उनके ये विचार न केवल अनोखे हैं, बल्कि गहन चिंतन का विषय भी हैं।

शक्ति के लिए बढ़ाए नाखून और बाल

इंजीनियर बाबा ने अपनी शक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए अपने नाखून और बाल बढ़ा लिए हैं। उनके माथे पर भभूत और गले में रुद्राक्ष उनके साधु रूप को और प्रभावशाली बनाते हैं।

महाकुंभ के बाद का सफर

महाकुंभ के अनुभव को लेकर इंजीनियर बाबा कहते हैं, “यहां आकर मैंने शांति का एक नया स्तर महसूस किया है। मैं इस आध्यात्मिक सफर को और आगे ले जाना चाहता हूं। मेरी मंजिल भगवान शिव के चरणों में है।”

विज्ञान और दर्शन का संगम

इंजीनियर बाबा की कहानी यह साबित करती है कि जिंदगी केवल एक पेशे में सीमित नहीं होती। असली खुशी और संतोष पाने के लिए हमें अपने भीतर झांकना होगा। प्रयागराज महाकुंभ में उनकी उपस्थिति यह दिखाती है कि विज्ञान और आध्यात्म, दोनों मिलकर जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में काम कर सकते हैं।

उनकी कहानी महाकुंभ के अनगिनत रंगों में एक नई रोशनी जोड़ती है, जो यह सिखाती है कि जिंदगी का असली मतलब आत्मा की खोज में छिपा है।