दुमका: मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के तहत चल रही अनियमितताओं को उजागर करते हुए बीडीओ राजेश कुमार सिन्हा ने शुक्रवार को औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान रंगालिया और विलकांदी पंचायतों के प्रज्ञा केंद्रों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां सामने आईं, जिससे प्रशासन में हड़कंप मच गया।
फर्जीवाड़े की परतें खुलीं
मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के नाम पर कई प्रज्ञा केंद्र संचालक धांधली कर रहे थे। नियमों को ताक पर रखकर नाबालिगों के नाम से आवेदन किए गए, तो कहीं महिलाओं से पैसे लेकर फर्जी फॉर्म भरे गए।
रंगालिया पंचायत के एक प्रज्ञा केंद्र में जब बीडीओ ने जांच की, तो 25 आवेदकों के फॉर्म मिले, जिनमें से 24 को प्राप्ति रसीद भी दी गई थी। लेकिन गहन जांच में दो आवेदक 18 वर्ष से कम उम्र के पाए गए। उनके आधार कार्ड में हेरफेर कर आवेदन किया गया था। जब बीडीओ ने केंद्र संचालक बीएलई इंद्रजीत मंडल से पूछताछ की, तो वे कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। इतना ही नहीं, एक महिला के दस्तावेजों का इस्तेमाल किसी अन्य व्यक्ति के नाम से ऑनलाइन आवेदन में किया गया था।
इसी तरह, विलकांदी पंचायत में भी अनियमितताएं सामने आईं। यहां 27 आवेदकों के फॉर्म मिले, जिनमें से एक लाभुक का दो बार आवेदन किया गया था। जब बीडीओ ने प्रज्ञा केंद्र संचालक बीएलई गोष्ट गोपाल घोष से पूछताछ की, तो वे भी कोई ठोस जवाब नहीं दे पाए।
सरकार ने पहले ही बंद कर दिया था ऑनलाइन आवेदन
31 दिसंबर 2024 के बाद सरकार ने मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के तहत प्रज्ञा केंद्रों में ऑनलाइन आवेदन बंद कर दिया था। लेकिन कई केंद्र संचालक नियमों का उल्लंघन कर फर्जी तरीके से आवेदन दिखाकर महिलाओं से पैसे ऐंठने में लगे थे।
कुछ प्रज्ञा केंद्रों ने तो आवेदन की ऑनलाइन एंट्री कर दी थी, लेकिन उन्हें प्रखंड मुख्यालय में जमा नहीं किया। इस वजह से कई योग्य लाभुकों को समय पर योजना का लाभ नहीं मिल पाया। वहीं, कई मामलों में लाभुकों को आवेदन की प्राप्ति रसीद तक नहीं दी गई।
तीन सदस्यीय जांच टीम गठित
बीडीओ राजेश कुमार सिन्हा ने बताया कि लगातार मिल रही शिकायतों के बाद यह निरीक्षण किया गया। “निरीक्षण के दौरान कई गड़बड़ियां सामने आई हैं। अब 3 सदस्यीय जांच टीम बनाई जा रही है, जो सभी दस्तावेजों की जांच करेगी।