गिरिडीह: भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर की पुण्यतिथि के अवसर पर सोमवार को गिरिडीह में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। झामुमो नेताओं समेत कई समाजसेवियों ने कर्पूरी ठाकुर चौक स्थित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस दौरान झामुमो नेता कृष्ण मुरारी शर्मा ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर दलित, शोषित और वंचित वर्ग के उत्थान के लिए आजीवन संघर्षरत रहे। उन्होंने सादगी, ईमानदारी और समाजवाद की जो मिसाल पेश की, वह भारतीय राजनीति में दुर्लभ है। उन्होंने कहा कि कर्पूरी ठाकुर ने बिहार और उत्तर भारत की राजनीति में सामाजिक न्याय की ऐसी लकीर खींची जिसे मिटा पाना संभव नहीं है।
युवा नेता नंदलाल शर्मा ने कहा कि दक्षिण भारत में पेरियार रामासामी और अन्ना दुरई का जो महत्व है, उत्तर भारत में वही स्थान कर्पूरी ठाकुर और राममनोहर लोहिया को प्राप्त है। उनकी राजनीति सदैव गरीबों और पिछड़ों के हक में रही। उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए बिहार में पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण लागू कर सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम उठाया।
इस मौके पर गणेश ठाकुर, मोहनलाल शर्मा, राजेश ठाकुर, अर्जुन ठाकुर, बसंत ठाकुर, चंदन शर्मा समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित थे। सभी ने कर्पूरी ठाकुर के विचारों को आत्मसात करने और उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया।
गौरतलब है कि कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी 1924 को समस्तीपुर जिले के पितौंझिया (वर्तमान में कर्पूरी ग्राम) में हुआ था। उन्होंने समाजवादी विचारधारा को अपनाते हुए 1942 के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और कई बार जेल भी गए। वे 1952 में पहली बार विधायक बने और दो बार बिहार के मुख्यमंत्री का पद संभाला। उन्होंने अपना पूरा जीवन सादगी और ईमानदारी से व्यतीत किया। 17 फरवरी 1988 को 64 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया। हाल ही में केंद्र सरकार ने उन्हें मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया।