तिसरी में किसानों पर बर्बर लाठीचार्ज के खिलाफ कैंडल मार्च, लोकतंत्र की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरे लोग…

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गिरिडीहतिसरी प्रखंड में शांतिपूर्ण धरने पर बैठे किसानों पर हाल ही में हुए हमले और पुलिस लाठीचार्ज के खिलाफ रविवार को गिरिडीह शहर में आक्रोश फूट पड़ा। किसान जनता पार्टी के आह्वान पर झंडा मैदान से एक कैंडल मार्च निकाला गया, जो टावर चौक होते हुए नटराज होटल तक पहुंचा। मार्च में बड़ी संख्या में आम नागरिक, महिलाएं, युवा और किसान शामिल हुए। सभी ने लोकतंत्र और किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट होकर आवाज बुलंद की।

किसानों पर दोहरी मार – पहले गुंडों का हमला, फिर पुलिस की बर्बरता

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, तिसरी में शांतिपूर्ण धरना दे रहे निहत्थे किसानों पर पहले अज्ञात गुंडों द्वारा हमला कराया गया, जिसके बाद अंचल अधिकारी (सीओ) के निर्देश पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। घटना में कई किसान गंभीर रूप से घायल हुए, जिनमें कुछ के सिर तक फट गए। किसान जनता पार्टी के अध्यक्ष अवधेश कुमार सिंह को भी पीटा गया। पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए पार्टी ने आरोप लगाया कि निर्दोष किसानों को झूठे मुकदमों में फंसाकर जेल भेजा जा रहा है।

रात में घरों में घुसकर डराने-धमकाने के आरोप

पार्टी कार्यकर्ताओं ने बताया कि पुलिस अब देर रात उनके घरों में घुसकर महिलाओं और परिजनों को गंदी-गंदी गालियां दे रही है और भय का माहौल बना रही है। “यह सब लोकतंत्र की हत्या है,” एक कार्यकर्ता ने कहा।

पक्षपातपूर्ण कार्रवाई का आरोप

3 मई को पुलिस द्वारा दो ऐसे कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की गई, जिनके खिलाफ किसी भी प्राथमिकी में नाम नहीं था। पार्टी ने इसे प्रशासन की पक्षपातपूर्ण कार्रवाई बताया और कहा कि प्रशासन पूरी तरह से भू-माफियाओं के इशारे पर काम कर रहा है।

किसानों की तीन प्रमुख मांगें रखी गईं

कैंडल मार्च के दौरान किसानों ने तीन प्रमुख मांगें सरकार के समक्ष रखीं:

1. झारखंड उच्च न्यायालय की रिट याचिका (संख्या 5925/2022) के आलोक में सभी मौजा की रजिस्टरी की सत्यापित प्रतियां उपलब्ध कराई जाएं।

2. निर्दोष किसानों पर दर्ज सभी फर्जी मुकदमे तुरंत वापस लिए जाएं।

3. तिसरी अंचल अधिकारी और संबंधित भू-माफियाओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर गिरफ्तारी सुनिश्चित की जाए।

जनता की चेतावनी – संघर्ष जारी रहेगा

कार्यकर्ताओं ने स्पष्ट किया कि वे गिरफ्तारी से नहीं डरते, लेकिन अपने अधिकार की लड़ाई आखिरी सांस तक लड़ेंगे। कार्यक्रम में अन्ना मुर्मू, सबीना हेम्ब्रम, घनश्याम पंडित, मुकेश राय, मुन्नी हांसदा, दोलो सोरेन, बड़की हेम्ब्रोम, जसिन्ता हांसदा सहित सैकड़ों किसानों ने भाग लिया।

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