सत्ता के साथ साधना: हेमंत सोरेन ने केदारनाथ में की पूजा, सोशल मीडिया पर साझा की तस्वीरें…

Abhimanyu Kumar
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रांची: उत्तराखंड के दिव्य तीर्थस्थल केदारनाथ धाम में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने पूरे परिवार के साथ पूजा-अर्चना की और भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त किया। इस धार्मिक यात्रा की तस्वीरें खुद मुख्यमंत्री ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर साझा की हैं। उन्होंने तस्वीर के साथ लिखा – “जय बाबा केदार, हर हर महादेव!”

 

केदारनाथ मंदिर, जो उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में समुद्रतल से करीब 3,583 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र रहा है। इस पावन धाम की यात्रा करना हर शिव भक्त का सपना होता है, और अब झारखंड के मुख्यमंत्री ने भी इस यात्रा को सपरिवार पूर्ण किया है।

मुख्यमंत्री की इस धार्मिक यात्रा के कारण वह आज आयोजित वित्त आयोग की महत्वपूर्ण बैठक में शामिल नहीं हो पाएंगे। सूत्रों के अनुसार, हेमंत सोरेन एक जून को रांची लौट सकते हैं।

लगातार तीर्थ यात्राओं पर हैं मुख्यमंत्री

गौरतलब है कि 2024 के झारखंड विधानसभा चुनावों में ऐतिहासिक जीत के बाद हेमंत सोरेन लगातार विभिन्न तीर्थ स्थलों की यात्रा कर रहे हैं। यह न केवल उनकी धार्मिक आस्था को दर्शाता है, बल्कि जनता के बीच उनकी एक विशेष छवि भी बना रहा है।

फरवरी 2025 में मुख्यमंत्री अपनी धर्मपत्नी कल्पना सोरेन के साथ कोलकाता के प्रसिद्ध शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर पहुंचे थे, जहां उन्होंने मां काली के दर्शन किए और पूजा-अर्चना की थी। इससे पूर्व दिसंबर 2024 में उन्होंने मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन किए थे। उज्जैन यात्रा के दौरान भी मुख्यमंत्री अपनी पत्नी संग पूरे विधि-विधान के साथ बाबा महाकाल की पूजा करते नजर आए थे।

इसी माह, यानी दिसंबर 2024 में ही, मुख्यमंत्री दंपत्ति आंध्र प्रदेश के तिरुपति भी पहुंचे थे। यहां उन्होंने तिरुपति बालाजी मंदिर और श्री पद्मावती अम्मावारी मंदिर में श्रद्धा के साथ पूजा की थी।

इसके अलावा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड के बाबा बैद्यनाथ धाम, मरांग बुरु, और मणिटोला स्थित मां काली मंदिर समेत कई स्थानीय और राष्ट्रीय तीर्थ स्थलों का दौरा कर चुके हैं।

आस्था और राजनीति का मेल

मुख्यमंत्री की ये तीर्थ यात्राएं केवल धार्मिक यात्रा नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक संदेश भी देती हैं। वे यह दिखा रहे हैं कि आधुनिक राजनीति में भी परंपरा और श्रद्धा के लिए जगह है। अपने आध्यात्मिक पक्ष को सार्वजनिक रूप से सामने लाकर वे झारखंड की जनता, विशेषकर ग्रामीण और पारंपरिक समाज से गहरा जुड़ाव स्थापित कर रहे हैं।

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