IAS की कुर्सी या करप्शन का टिकट? झारखंड में पांच अफसर जेल पहुंच चुके हैं, अब विनय चौबे भी गिरफ्त में!

झारखंड की नौकरशाही एक बार फिर सवालों के घेरे में है. जिन अफसरों के हाथ में राज्य की कानून-व्यवस्था और विकास की जिम्मेदारी होती है, वे खुद भ्रष्टाचार की दलदल में फंसे नजर आ रहे हैं. ताजा मामला वरिष्ठ IAS विनय कुमार चौबे का सामने आया है. जबकि, वे कभी सरकार के भरोसेमंद सचिव माने जाते थे.

Himanshu Kumar Deo
5 Min Read
तस्वीर में IAS विनय चौबे व अन्य चार अधिकारी।
Highlights
  • सवालों के घेरे में है झारखंड की नौकरशाही
  • शराब घोटाले के मामले में IAS विनय को गिरफ्तार किया गया है
  • रांची के डीसी रहे अधिकारियों ने किया अधिक भ्रष्टाचार
  • अधिकारियों का भ्रष्टाचार से सवालों के घेरे में प्रशासनिक व्यवस्था
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Ranchi: झारखंड की नौकरशाही एक बार फिर सवालों के घेरे में है. जिन अफसरों के हाथ में राज्य की कानून-व्यवस्था और विकास की जिम्मेदारी होती है, वे खुद भ्रष्टाचार की दलदल में फंसे नजर आ रहे हैं. ताजा मामला वरिष्ठ IAS विनय कुमार चौबे का सामने आया है. जबकि, वे कभी सरकार के भरोसेमंद सचिव माने जाते थे. अब वही 38 करोड़ के शराब घोटाले में जेल की सलाखों के पीछे हैं.

लेकिन ये कोई पहला मामला नहीं है. चौबे से पहले झारखंड में चार और आईएएस अफसर जेल जा चुके हैं. उसमें भी ज्यादातर ऐसे जिन्होंने रांची के डीसी जैसे पावरफुल पद संभाले. सवाल यह है कि क्या रांची डीसी की कुर्सी करप्शन का गेटवे बन गई है?

 

सरकारी पद का दुरुपयोग कर रचा करोड़ों का खेल

झारखंड के वरिष्ठ IAS अधिकारी विनय कुमार चौबे को राज्य के बहुचर्चित शराब घोटाले में ACB ने 20 मई 2025 को गिरफ्तार किया. वे जब उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के सचिव थे, तब प्लेसमेंट एजेंसियों और शराब आपूर्ति करने वाली कंपनियों को टेंडर में अनियमित तरीके से चयनित किया गया. ACB की जांच में सामने आया कि उन्होंने नियमों को ताक पर रखकर मनचाही एजेंसियों को टेंडर दिलवाया, जिससे सरकार को 38 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ.

वहीं, पूछताछ के बाद चौबे और उत्पाद विभाग के संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह को जेल भेजा गया. यह भी सामने आया कि चौबे ने झारखंड आबकारी नीति में बदलाव कर सिंडिकेट को लाभ पहुंचाया. उनके खिलाफ रायपुर EOW और जल्द ही ED व CBI की जांच भी संभावित है.

जानिए, कौन-कौन से आईएएस अधिकारी रहे हैं विवादों में:

1. सजल चक्रवर्ती : झारखंड के सबसे वरिष्ठ और प्रभावशाली अफसरों में गिने जाने वाले पूर्व मुख्य सचिव और रांची डीसी सजल चक्रवर्ती चारा घोटाले में दोषी पाए गए थे. सीबीआई की विशेष अदालत ने उन्हें 5 साल की सजा सुनाई थी. आरोप यह था कि उनके कार्यकाल में भ्रष्टाचार की जानकारी होने के बावजूद उन्होंने कार्रवाई नहीं की.

2. डॉ प्रदीप कुमार : पूर्व स्वास्थ्य सचिव और रांची डीसी रह चुके डॉ प्रदीप कुमार पर 130 करोड़ के दवा घोटाले में शामिल होने का आरोप लगा. सीबीआई ने जांच के बाद उन्हें गिरफ्तार किया. आरोप यह था कि टेंडर प्रक्रिया में भारी गड़बड़ी कर दवा आपूर्ति में घोटाला किया गया.

3. पूजा सिंघल : साल 2022 में मनरेगा घोटाले में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने पूर्व खान सचिव पूजा सिंघल को गिरफ्तार किया था. उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट के पास से 19.31 करोड़ नकद बरामद हुए थे. वहीं, पूजा सिंघल के मामले ने पूरे देश में झारखंड की बदनामी की थी.

4. छवि रंजन : पूर्व रांची डीसी छवि रंजन को साल 2023 में ईडी ने उन्हें जमीन घोटाले में गिरफ्तार किया. छवि पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए जमीन हड़पने और रियल एस्टेट सिंडिकेट को संरक्षण देने का आरोप था.

5. विनय कुमार चौबे : वर्तमान में पंचायती राज सचिव, पूर्व रांची डीसी और उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे भी अब इस सूची में शामिल हुए हैं, जिन पर आरोप है कि उन्होंने शराब टेंडर घोटाले में नियमों की अनदेखी कर कुछ चुनिंदा एजेंसियों को फायदा पहुंचाया और सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया.

सवालों के घेरे में प्रशासनिक व्यवस्था

राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों का भ्रष्टाचार में लिप्त होना यह सवाल उठाता है कि क्या झारखंड में प्रशासनिक पारदर्शिता पूरी तरह नष्ट हो चुकी है? बार-बार रांची के डीसी पद पर रहे अधिकारी ही जेल जा रहे हैं. हालांकि, झारखंड में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं रही, लेकिन एक के बाद एक बड़े अफसरों की गिरफ्तारी और घोटाले सामने आना यह बताता है कि सरकार के सिस्टम में गहराता गड़बड़झाला है. जब तक शासन की निगरानी और जवाबदेही तय नहीं होगी, तब तक जनता का पैसा इस तरह लूटा जाता रहेगा.

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