रांची: झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) की सीजीएल परीक्षा 2023 को लेकर एक बड़ा घोटाला सामने आया है। सीआईडी की जांच में पता चला है कि उम्मीदवारों को फर्जी प्रश्नपत्र दिलाने के नाम पर उनसे 20-20 लाख रुपये तक की वसूली की जा रही थी। इस घोटाले में न सिर्फ साजिशकर्ता बल्कि सुरक्षा बलों से जुड़े कुछ जवान भी शामिल पाए गए हैं।
आईआरबी का जवान बना एजेंट, पत्नी के खातों से हुआ लेनदेन
सीआईडी की जांच रिपोर्ट के अनुसार इस पूरे फर्जीवाड़े की साजिश में झारखंड इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स (आईआरबी) का जवान कुंदन कुमार उर्फ मंटू प्रमुख भूमिका में था। उसने अपने अन्य साथियों को एजेंट बना परीक्षार्थियों से मोटी रकम वसूलने की योजना बनाई थी। मास्टरमाइंड संदीप त्रिपाठी द्वारा असम राइफल्स के जवान रामनिवास राय और उसके भाई निवास राय के जरिए कुंदन से संपर्क स्थापित किया गया था।
लेनदेन को छिपाने के लिए कुंदन की पत्नी कंचन के बैंक खातों का इस्तेमाल किया गया। इन खातों से रामनिवास के भतीजे कविराज उर्फ मोटू को कुल 2.90 लाख रुपये ट्रांसफर किए गए थे।
वीडियो कॉल पर धमकी और नेपाल ले जाकर फर्जीवाड़ा
सीआईडी को दी गई जानकारी में यह भी सामने आया कि कुंदन और संदीप ने एक परीक्षार्थी अरविंद कुमार को मोबाइल और वीडियो कॉल के जरिए धमकी देकर पैसे मांगे थे। अरविंद ने इस वीडियो कॉल की रिकॉर्डिंग सीआईडी को सौंपी, जो इस मामले में एक अहम सबूत के तौर पर सामने आई है। आरोपियों ने अरविंद को नेपाल के वीरगंज ले जाकर प्रश्नपत्र दिलाने का झांसा दिया था।
100 से ज्यादा प्रश्न रटवाए गए, 28 की लिस्ट बरामद
जांच के दौरान जब कुंदन और उसके साथी कौशलेश कुमार के मोबाइल की जांच की गई तो उसमें कुल 28 अभ्यर्थियों की सूची मिली। इन सभी से संपर्क और पैसों के लेन-देन के सबूत मिले हैं। हैरानी की बात यह है कि इनमें से 10 अभ्यर्थी परीक्षा में सफल भी हो गए हैं। सूत्रों के मुताबिक इन अभ्यर्थियों को बिहार के पटना, मुजफ्फरपुर, मोतीहारी और रक्सौल के रास्ते नेपाल के वीरगंज ले जाया गया, जहां उन्हें सामान्य ज्ञान के 100 से 120 सवाल और उनके उत्तर रटवाए गए।
सीआईडी के पास मजबूत सबूत, कई पर शिकंजा कसने की तैयारी
सीआईडी ने इस पूरे मामले में अवैध वसूली, धोखाधड़ी और सरकारी परीक्षा में हस्तक्षेप जैसे गंभीर आरोपों में कई लोगों को चिह्नित किया है। जल्द ही इस मामले में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। सवाल यह भी उठ रहा है कि इस तरह की साजिशें क्या सिर्फ कुछ जवानों तक सीमित हैं या फिर इसके तार कहीं और तक जुड़े हैं?

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