झारखंड सरकार के खिलाफ रसोइया, सहिया, जल सहिया और किसान मित्रों का प्रदर्शन तेज शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन..

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सरकार द्वारा रसोइया, सहिया, जल सहिया और किसान मित्रों को मनरेगा मजदूर से भी कम मानदेय देने के खिलाफ मंगलवार को गिरिडीह के झंडा मैदान में व्यापक विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। किसान जनता पार्टी के बैनर तले विभिन्न सहयोगी मंचों के बैनर और तख्तियों के साथ सैकड़ों की संख्या में महिलाओं-पुरुषों ने सरकार की नीतियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और प्रदर्शन किया।

झंडा मैदान में की गई धरना प्रदर्शन..

धरना कार्यक्रम की अध्यक्षता रसोइया सहयोगी मंच की अध्यक्षा खुशबू देवी ने की। उन्होंने कहा कि सरकार की यह नीति पूरी तरह शोषण पर आधारित है। एक ओर जहां सरकारी कर्मचारियों को एक दिन का वेतन हजारों में मिलता है, वहीं रसोइया, सहिया, जल सहिया और किसान मित्रों को महीने भर की मेहनत का उचित मूल्य भी नहीं मिलता।

 

वहीं, सहिया सहयोगी मंच की अध्यक्षा एलिजाबेथ मुर्मू ने कहा कि अब समय आ गया है जब झारखंड सरकार को भी किसानों और सहयोगी कार्यकर्ताओं के आक्रोश के आगे झुकना पड़ेगा। जिस प्रकार केंद्र सरकार को तीन कृषि कानूनों को वापस लेना पड़ा, उसी तरह झारखंड सरकार को भी सम्मानजनक मानदेय देना होगा।

जल सहिया मंच की अध्यक्षा सुमनी सोरेन ने कहा कि इस लड़ाई में किसान जनता पार्टी के नेता लाठी-डंडे खा चुके हैं, खून बहा चुके हैं और अगर जरूरत पड़ी तो आगे भी पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा कि जब तक सभी कार्यकर्ताओं को न्याय नहीं मिलेगा, आंदोलन जारी रहेगा।

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धरना के बाद सभी प्रदर्शनकारी किसान मित्र मंच के अध्यक्ष मुंसी मुर्मू की अगुवाई में जुलूस की शक्ल में वकालतखाना पहुंचे, जहां विगत 4 जून से अनशन पर बैठे किसान जनता पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सह अधिवक्ता अवधेश कुमार सिंह को फूलमाला पहनाकर समर्थन जताया गया। प्रदर्शनकारियों ने “अवधेश तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं” और “अवधेश नहीं यह आंधी है, गरीब-गुरबों का गांधी है” जैसे नारों के जरिए उत्साहवर्धन किया।

 

प्रदर्शन के दौरान जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष के खिलाफ भी नारेबाजी की गई, जिन्हें प्रदर्शनकारियों ने पुलिस प्रशासन का ‘दलाल’ बताया। कार्यक्रम के अंत में घोषणा की गई कि आगामी 24 जून को झंडा मैदान गिरिडीह में एक वृहद बैठक कर आंदोलन की अगली रणनीति तय की जाएगी।

 

धरना व प्रदर्शन में विजय कुमार, दासो मुर्मू, भगीरथ राय, नीलम कुमारी, मालती देवी, संतोष बासके, छत्रधारी सिंह, धनेश्वर मारंडी, घनश्याम पंडित, तालो हेमब्रम, जहाँगीर अंसारी, टीपन ठाकुर, बट्टू मरांडी, बैजू मुर्मू, मानवल हसदा, सुमन टूड्डू, रबीना टूड्डू, सरिता मरांडी और सबीना हेम्ब्रम सहित सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल थे।

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