गिरिडीह। आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को शुक्रवार के दिन गिरिडीह के पुरातन शिवालय (आईसीआर रोड) स्थित मंदिर परिसर से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा बड़े ही धूमधाम और भक्तिभाव के साथ निकाली गई। भगवान जगन्नाथ के साथ उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के विग्रह को सुसज्जित रथ पर विराजमान कर नगर भ्रमण कराया गया। इस दौरान नगर “जय जगन्नाथ” के नारों और ढोल-नगाड़ों से गूंज उठा।
Advertisement
रथयात्रा की शुरुआत मंदिर के पुजारी पंडित सतीश मिश्रा द्वारा विधिवत पूजन और मंत्रोच्चार के साथ की गई। पूजन उपरांत भगवान के विग्रहों को रथ पर विराजित कर भक्तों द्वारा नगर भ्रमण कराया गया। श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखा गया। सैकड़ों भक्त श्रद्धाभाव से रथ खींचते नजर आए।

पुजारी सतीश मिश्रा ने बताया कि रथयात्रा का धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व है। यह पर्व भगवान के सार्वभौमिक रूप के दर्शन का प्रतीक है, जहां सभी जाति-वर्ग के लोग भगवान के निकट पहुंचते हैं। मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा 15 दिन के अज्ञातवास के बाद मंदिर से बाहर आकर भक्तों को साक्षात दर्शन देते हैं। रथयात्रा के बाद तीनों विग्रह नौ दिनों तक गांधी चौक स्थित मौसीबाड़ी (कालीमंडा) में विश्राम करेंगे, जहां भक्तजन उनका दर्शन कर सकेंगे।
इस अवसर पर भगवान को विशेष व्यंजन, फल और मिष्ठान्न का भोग अर्पित किया गया। तत्पश्चात भक्तों ने भगवान का चरण दर्शन कर महाप्रसाद ग्रहण किया और आधि-व्याधियों से मुक्ति एवं मनोकामना पूर्ति की कामना की।
रथयात्रा में सुशील सुराणा, अमित मिश्रा, अजीत मिश्रा, शुवेंदु चंदन समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। आयोजन शांतिपूर्ण और भक्तिमय वातावरण में संपन्न हुआ।

मैं अभिमन्यु कुमार पिछले चार वर्षों से गिरिडीह व्यूज में बतौर “चीफ एडिटर” के रूप में कार्यरत हुं,आप मुझे नीचे दिए गए सोशल मीडिया के द्वारा संपर्क कर सकते हैं।