संथाल विद्रोह के नायकों की स्मृति में मनाए जाने वाले हूल दिवस कार्यक्रम से पहले भोगनाडीह में माहौल उस समय तनावपूर्ण हो गया जब सिदो-कान्हू हूल फाउंडेशन के समर्थकों ने कार्यक्रम स्थल पर विरोध प्रदर्शन किया। विवाद बढ़ने पर पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए बल प्रयोग किया, लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले भी छोड़े।
इस घटना पर नेता प्रतिपक्ष एवं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। गिरिडीह स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि, “यह पूरी घटना प्रशासन की हठधर्मिता का परिणाम है। यदि स्थानीय प्रशासन संवेदनशीलता से काम करता तो ऐसी स्थिति से बचा जा सकता था।”
उन्होंने बताया कि उन्हें जानकारी मिली है कि स्थानीय ग्रामीण और परिवार के लोग पूजा के लिए स्थल की ओर जा रहे थे, क्योंकि परंपरानुसार पहले गांव और परिवार के लोग पूजा करते हैं, फिर आगे का सार्वजनिक कार्यक्रम होता है। लेकिन प्रशासन ने उनकी बातों को नजरअंदाज कर दिया, जिससे स्थिति बिगड़ गई।
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बाबूलाल मरांडी ने बताया कि उन्होंने इस मुद्दे पर एसपी से बातचीत की है और उन्हें जानकारी दी गई है कि स्थिति अब नियंत्रण में है। उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसे पवित्र स्थल पर, जहां 1855 के महान विद्रोह की स्मृति जुड़ी है, सरकार और प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्थल के दो से तीन किलोमीटर के दायरे में कोई राजनीतिक या सरकारी आयोजन न हो।
उन्होंने कहा कि “कोई भी व्यक्ति श्रद्धा से आए, प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करे और वापस लौट जाए। मेले का आयोजन हो, वह अलग बात है, लेकिन पूजा का पहला अधिकार गांव और परिवार के लोगों का है।”
बाबूलाल ने जोर देकर कहा कि ऐसी घटनाएं संवेदनाओं को आहत करती हैं और प्रशासन को इससे बचना चाहिए।