झारखंड धाम: दुकान को निशाना बना कर ध्वस्त करना अंचलाधिकारी को पड़ा महंगा, हाईकोर्ट ने दिया मुआवजे का आदेश

Pintu Kumar
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झारखंड धाम: जमुआ प्रखंड स्थित सुप्रसिद्ध देव स्थल बाबा झारखंड धाम में अप्रैल 2024 में बिना वैध सूचना के की गई प्रशासनिक कार्रवाई अब अंचलाधिकारी पर भारी पड़ गई है। रांची हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए प्रभावित दुकानदार को 10 लाख रुपये मुआवजे के रूप में भुगतान करने का आदेश दिया है।

मामला उस समय तूल पकड़ गया था जब जमुआ अंचलाधिकारी ने 14 एकड़ 20 डिसमिल सार्वजनिक भूमि पर बने लगभग 200 दुकानों में से केवल ग्राम पंचायत परसन निवासी अनिल कुमार वर्मा की दुकान को तोड़ दिया था। अनिल वर्मा उस दुकान से होम्योपैथिक क्लिनिक का संचालन करते थे। उनका आरोप था कि यह कार्रवाई पूर्णतः मनमानी, भेदभावपूर्ण और अन्यायपूर्ण तरीके से की गई।

अनिल वर्मा ने इस संबंध में हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति श्री आनंद सेन गुप्ता एवं राजेश कुमार की पीठ ने की।

हाईकोर्ट के अहम निर्देश:

1. कलेक्टर द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया कानून में अज्ञात पाई गई, जिसे अवैध करार दिया गया।

2. याचिकाकर्ता ने तस्वीरों के माध्यम से यह साबित किया कि उनकी दुकान के आसपास भी कई अन्य दुकानें बनी हुई हैं, जिन्हें नहीं तोड़ा गया।

3. अदालत ने स्वीकार किया कि याचिकाकर्ता की दुकान को ही निशाना बनाया गया, जो कार्यपालिका शक्ति का दुर्भावनापूर्ण प्रयोग है।

4. गिरिडीह के उपायुक्त को तीन महीने के भीतर याचिकाकर्ता को 10 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया गया।

5. झारखंड सरकार के मुख्य सचिव को दोषी अधिकारी से यह राशि वसूलने की स्वतंत्रता दी गई।

अदालत ने स्पष्ट किया कि इस प्रकार की कार्रवाई न केवल प्रशासनिक मनमानी है बल्कि न्यायिक दृष्टिकोण से भी अस्वीकार्य है। उपरोक्त आदेश के साथ रिट याचिका एवं आई.ए. संख्या 2156/2025 का निपटारा कर दिया गया।

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