खंडोली विवाद गरमाया: सीमांकन, रोजगार और मुफ्त बिजली-पानी की उठी माँग…

जल समाधि लेने पहुंच JLKM नेताओं तथा ग्रामीणों को बेंगाबाद पुलिस ने रोक...

Abhimanyu Kumar
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गिरिडीह में, खंडोली झील के पानी में प्रदूषण के आरोपों ने एक विवाद को जन्म दे दिया है। यह विवाद तब और बढ़ गया जब सोमवार को झारखंड क्रांतिकारी मोर्चा (JLKM) के नेताओं और ग्रामीणों ने जल समाधि लेने की कोशिश की। बेंगाबाद थाना प्रभारी जीतेंद्र कुमार सिंह ने मौके पर पहुंचकर उन्हें ऐसा करने से रोक दिया।

क्या है पूरा मामला?

ग्रामीण और JLKM के नेता आरोप लगा रहे हैं कि खंडोली में स्थित एक मशरूम और अंडे की फैक्ट्री अपनी गंदगी और कचरा सीधे झील में बहा रही है, जिससे पानी प्रदूषित हो रहा है।

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वहीं, फैक्ट्री संचालक का कहना है कि यह फार्म लगभग 4 साल से चल रहा है और निर्माण सामग्री स्थानीय मुखिया के बेटे से ही खरीदी गई थी, जिसका बिल भी मौजूद है।

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संचालक का आरोप है कि मुखिया उनसे पिछले कई महीनों से हर महीने 50,000 रुपये की रंगदारी मांग रहे थे। जब उन्होंने पैसे देने से इनकार कर दिया, तो उनके खिलाफ प्रदूषण का आरोप लगाया जाने लगा। संचालक का कहना है कि अगर यह अवैध था, तो 4 साल तक किसी ने आपत्ति क्यों नहीं की।

JLKM नेताओं की मुख्य माँगें:

मीडिया से बात करते हुए JLKM नेता नागेंद्र चंद्र वंशी और अजय ने अपनी मुख्य माँगें बताईं:

  • सरकारी डेटा सार्वजनिक हो: 1952 में खंडोली को अधिग्रहित की गई जमीन का पूरा डेटा सार्वजनिक किया जाए।
  • सीमांकन हो: खंडोली डैम की जमीन का सीमांकन किया जाए। उनका कहना है कि अगर सीमांकन हो जाएगा, तो अवैध अतिक्रमण और प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयाँ अपने आप हट जाएँगी।
  • खतियानधारियों को रोजगार मिले: जिन खतियानधारियों (जमीन के मूल मालिकों) की जमीन पर डैम बना, उन्हें रोजगार के साधन मुहैया कराए जाएँ। जैसे, डैम में मछली पालन का अधिकार।
  • पर्यटन क्षेत्र में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता: खंडोली को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करते समय यहाँ के स्थानीय लोगों को रोजगार में प्राथमिकता दी जाए।
  • मुफ्त बिजली और पानी का वादा पूरा हो: नेताओं का कहना है कि डैम बनते समय उनके पूर्वजों से मुफ्त बिजली और स्वच्छ पानी देने का वादा किया गया था, लेकिन अब यहाँ पानी का व्यवसाय चल रहा है और स्थानीय लोग पानी की एक बूँद के लिए तरस रहे हैं।
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