हर पिता अपने बेटे को जरूर दे ये पांच अमूल्य सीख, जो उसे बनाएंगी आत्मविश्वासी, जिम्मेदार, और संवेदनशील इंसान, न कि सिर्फ कामयाब व्यक्ति

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एक बच्चे की परवरिश में मां और पिता दोनों की अहम भूमिका होती है। मां जहां भावनात्मक रूप से बच्चे को मजबूत बनाती है, वहीं पिता जीवन की चुनौतियों से लड़ने की ताकत देता है। दोनों मिलकर न सिर्फ उसका पालन-पोषण करते हैं, बल्कि उसे एक अच्छा, समझदार और संवेदनशील इंसान बनाना भी सिखाते हैं।

हालांकि, अगर खास तौर पर पिता की भूमिका की बात करें, तो कुछ बातें ऐसी होती हैं जो हर पिता को अपने बेटे को जरूर सिखानी चाहिए। ताकि बेटा सिर्फ कामयाब ही नहीं, बल्कि एक नेक, ईमानदार और दूसरों का सम्मान करने वाला इंसान बन सके। पेरेंटिंग कोच पुष्पा शर्मा बताती हैं कि पिता अपने बेटे को किन मूलभूत बातों की सीख देकर उसे जीवन में सशक्त बना सकते हैं।

लोगों से आत्मविश्वास के साथ मिलो

पेरेंटिंग कोच पुष्पा शर्मा कहती हैं कि पिता अपने बेटे को यह जरूर सिखाएं कि जब भी किसी से मिलो, उसकी आंखों में देखकर आत्मविश्वास से हाथ मिलाओ। ऐसा करने से न सिर्फ आत्मविश्वास झलकता है, बल्कि सामने वाले व्यक्ति पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

वो कहती हैं कि फादर को बेटे को यह भी बताना चाहिए कि दुनिया में सेहत से बड़ा कोई धन नहीं होता। अगर तुम्हारे पास अच्छी सेहत है, तो समझो तुम्हारे पास सब कुछ है। इसलिए खुद को फिट रखना और अपनी सेहत का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।

गुस्से को कंट्रोल करना सीखो

पुष्पा शर्मा के अनुसार, हर पिता को अपने बेटे को यह सिखाना चाहिए कि चाहे कैसी भी स्थिति हो, लेकिन अपनी बात आत्मविश्वास से और सम्मानपूर्वक रखना आना चाहिए। व्यवहार में कॉन्फिडेंस झलकना चाहिए, न कि आक्रोश।

वो कहती हैं, “गुस्सा हमें कंट्रोल न करे, बल्कि हमें इतना स्ट्रॉन्ग बनना चाहिए कि हम अपने गुस्से को कंट्रोल कर सकें।” यही गुण आगे चलकर किसी भी इंसान को सफल बनाता है।

जिम्मेदारी से मत भागो

हर पिता को अपने बेटे को यह समझाना चाहिए कि जीवन में जिम्मेदारी से कभी न भागें। वेटर, क्लीनर, सिक्योरिटी गार्ड जैसे हर व्यक्ति के साथ सम्मान से पेश आएं, क्योंकि सम्मान देना एक अच्छी परवरिश की निशानी होती है।

एक्सपर्ट कहती हैं कि बेटों को बहाने बनाना छोड़कर जिम्मेदारी उठाना सीखना चाहिए। यह आदत उन्हें न सिर्फ भरोसेमंद बल्कि मजबूत इंसान बनाती है।

समय की इज्जत करो

समय सबसे बड़ा शिक्षक है — यह बात पिता को बेटे के दिल में बिठानी चाहिए। पुष्पा शर्मा कहती हैं कि पिता अपने बेटों को यह सिखाएं कि असफलता आने पर आत्मसम्मान को खोए बिना आगे बढ़ना सीखें।

वो बताती हैं कि बेटे को यह समझाना जरूरी है कि समय की कीमत समझो, सुबह जल्दी उठने की आदत डालो, और फिजूलखर्ची से बचो।

साथ ही, पैसा सिर्फ खर्च करने के लिए नहीं होता, बल्कि उसे सही जगह निवेश करने की समझ भी जरूरी है।

बेसिक कुकिंग स्किल्स सीखो

पुष्पा शर्मा कहती हैं कि हर बेटे को बेसिक कुकिंग स्किल्स जरूर आनी चाहिए। यह न केवल आत्मनिर्भर बनाता है, बल्कि जीवन में संतुलन बनाए रखने की कला भी सिखाता है।

इसके साथ ही, उन्हें यह भी बताना चाहिए कि सब कुछ जानने का दिखावा करने के बजाय सवाल पूछना सीखें।

क्योंकि सीखने वाला ही हमेशा आगे बढ़ता है।

वो अंत में कहती हैं — “विनम्र होना कभी कमजोरी नहीं होती, बल्कि यह इंसान की सबसे बड़ी ताकत होती है।”

हर पिता अपने बेटे के जीवन का पहला हीरो होता है। वह उसे सही और गलत का फर्क सिखाता है, दुनिया से मुकाबला करना और दूसरों की इज्जत करना सिखाता है। अगर हर पिता अपने बेटे को ये बातें सिखा दे, तो समाज में एक संवेदनशील, जिम्मेदार और समझदार पीढ़ी का निर्माण निश्चित है।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य पेरेंटिंग सलाह और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है। इसका उद्देश्य जागरूकता फैलाना है। पाठकों से अनुरोध है कि अपने बच्चे के स्वभाव और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए किसी भी सलाह को अपनाएं।