बच्चों में कफ सिरप के दुष्प्रभाव की आशंका के बाद बिना डॉक्टर की पर्ची के दवा बिक्री पर रोक, सभी मेडिकल स्टोर्स और चिकित्सकों को जारी हुआ सख्त निर्देश

Pintu Kumar
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रांची: हाल ही में बच्चों में कफ सिरप के सेवन से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की सूचनाओं के बाद रांची जिला प्रशासन ने सतर्कता बढ़ा दी है और आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। रांची उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने सिविल सर्जन रांची को कड़े कदम उठाने का निर्देश देते हुए कहा है कि जिले में किसी भी बच्चे के स्वास्थ्य पर अनपेक्षित प्रभाव न पड़े, इसके लिए हर संभव सतर्कता बरती जाए। उपायुक्त के निर्देशानुसार अब किसी भी मेडिकल स्टोर पर कफ सिरप की बिक्री केवल डॉक्टर की लिखी पर्ची पर ही संभव होगी; बिना पर्ची कफ सिरप उपलब्ध नहीं कराया जाएगा। इसके साथ ही सभी चिकित्सकों को कहा गया है कि वे केवल उन्हीं बच्चों को कफ सिरप देने की अनुमति दें जिनमें दुष्प्रभाव की संभावना न हो और जहां चिकित्सीय आवश्यकता स्पष्ट हो।

राज्य के निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. सिद्धार्थ सान्याल ने केंद्र सरकार के पत्र का हवाला देते हुए राज्य के सभी सिविल सर्जन, मेडिकल कॉलेजों के अधीक्षकों, इटकी आरोग्यशाला, रिनपास तथा अन्य स्वास्थ्य संस्थाओं को भी निर्देशात्मक पत्र भेजा है। पत्र में यह स्पष्ट किया गया है कि बच्चों में होने वाला तीव्र कफ रोग (Acute Cough) सामान्य रूप से स्वतः ठीक हो जाने वाला रोग है और अधिकांश मामलों में चिकित्सीय हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती। इस दृष्टि से दो वर्ष से कम आयु के बच्चों को कफ सिरप नहीं दिया जाना चाहिए और सामान्यतः पांच वर्ष तक के बच्चों में भी कफ सिरप का उपयोग अनुशंसित नहीं है। केवल विशेष परिस्थिति में, चिकित्सक की निगरानी में ही कफ सिरप का उपयोग किया जाना चाहिए। डॉ. सान्याल ने साथ ही संबंधित संस्थाओं को उनके संबद्ध स्वास्थ्य केंद्रों तथा चिकित्सा इकाइयों को इन बातों से अवगत कराने के निर्देश भी दिए हैं ताकि फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ता और स्थानीय स्तर पर कार्यरत चिकित्सा कर्मचारियों को भी यह नीति स्पष्ट रूप से मिली रहे।

रांची जिला प्रशासन ने यह भी भरोसा दिलाया है कि निर्देशों का उल्लंघन करने वाले किसी भी मेडिकल स्टोर या चिकित्सक के विरुद्ध सख्त और निर्धारित कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से कफ सिरप की गुणवत्ता और सुरक्षा की जाँच कराने का निर्णय भी लिया है; इसके तहत बाजार में उपलब्ध विभिन्न ब्रांडों के नमूनों को सिविल सर्जन कार्यालय के माध्यम से एकत्र कराकर जांच कराई जाएगी ताकि दवा की गुणवत्ता और संभावित खतरों का वैज्ञानिक आधार पर परीक्षण हो सके। इस पहल का उद्देश्य न केवल संभावित जोखिमों को रोकना है बल्कि माता-पिता और अभिभावकों के मन में सुरक्षा और विश्वास भी बनाए रखना है।

प्रशासन ने अभिभावकों से विशेष अपील की है कि वे डॉक्टर की परामर्श के बिना अपने बच्चों को कोई भी कफ सिरप न दें। हल्की खांसी या सर्दी जैसी आम स्थिति में घरेलू देखभाल, पर्याप्त तरल पदार्थ और आराम को प्राथमिकता दी जानी चाहिए तथा आवश्यक होने पर ही प्रशिक्षित चिकित्सक की सलाह के बाद ही कोई औषधि दी जानी चाहिए। साथ ही स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन ने स्थानीय स्तर पर कार्यरत चिकित्सकों, फार्मासिस्टों और स्वास्थ्यकर्मियों से अनुरोध किया है कि वे लोगों को इस बारे में जागरूक करें और दवा वितरण में अतिरिक्त सावधानी बरतें।

स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की यह संयुक्त पहल बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए की गई है और अधिकारी मानते हैं कि जागरूकता, सख्त नियम और बाजार में दवा की निगरानी से ऐसी घटनाओं को समय रहते नियंत्रित किया जा सकता है। रांची में जारी यह निर्देश स्थानीय स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने तथा बच्चों के प्रति किसी भी संभावित खतरनाक स्थिति को रोकने की दिशा में एक महत्वपूरक कदम के रूप में देखा जा रहा है।

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