भारत में डिजिटल लेनदेन की सुरक्षा को और मजबूत बनाने की दिशा में यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) अब एक बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है। खबर है कि UIDAI जल्द ही बड़ी राशि के ऑनलाइन वित्तीय लेनदेन (High-Value Transactions) के लिए Aadhaar फेस ऑथेंटिकेशन को अनिवार्य करने का प्रस्ताव ला सकता है।
इस नए प्रस्ताव के लागू होने के बाद, जब भी कोई व्यक्ति किसी बैंक ऐप या UPI प्लेटफॉर्म के जरिए ₹50,000 या उससे अधिक की राशि ट्रांसफर करेगा, तो उसे केवल OTP या PIN के जरिए ही नहीं, बल्कि अपने चेहरे का स्कैन भी कराना होगा। यह फेस स्कैन UIDAI के पास पहले से मौजूद बायोमेट्रिक डेटा से मिलाया जाएगा।
डिजिटल फ्रॉड से बचाने के लिए उठाया गया कदम
UIDAI का यह कदम डिजिटल फ्रॉड, पहचान की चोरी और अनधिकृत लेनदेन को रोकने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है। देश में बढ़ते ऑनलाइन फ्रॉड और फिशिंग मामलों को देखते हुए, National Payments Corporation of India (NPCI) और Reserve Bank of India (RBI) ने भी मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन सिस्टम को अपनाने पर जोर दिया है।
UIDAI का कहना है कि भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा बायोमेट्रिक डेटाबेस मौजूद है, और अब समय आ गया है कि इसका उपयोग स्मार्ट और सुरक्षित डिजिटल ऑथेंटिकेशन के लिए किया जाए।
कैसे काम करेगा Aadhaar फेस ऑथेंटिकेशन
जब कोई यूजर हाई-वैल्यू ट्रांजैक्शन करेगा, तो बैंक या पेमेंट ऐप के जरिए उसके चेहरे का लाइव स्कैन लिया जाएगा। यह डाटा सीधे UIDAI के सर्वर पर जाएगा, जहां उसे पहले से मौजूद बायोमेट्रिक रिकॉर्ड से मिलाया जाएगा। पहचान सत्यापित होने के बाद ही ट्रांजैक्शन को मंजूरी दी जाएगी।
इस प्रक्रिया में किसी भी थर्ड पार्टी को यूजर का डेटा साझा नहीं किया जाएगा। UIDAI यह सुनिश्चित करेगा कि फेस स्कैन पूरी तरह एन्क्रिप्टेड और सुरक्षित रहे।
बैंकों और ऐप्स को अपग्रेड करना होगा सिस्टम
UIDAI के इस नए फैसले के बाद सभी बैंकों और डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म्स को अपने सिस्टम को फेस ऑथेंटिकेशन के अनुरूप अपग्रेड करना होगा। साथ ही, ग्राहकों को इस नए फीचर के बारे में जानकारी और प्रशिक्षण भी देना होगा ताकि यूजर अनुभव बेहतर बना रहे।
शुरुआत में यह तकनीक कुछ चुनिंदा बैंकों और पेमेंट ऐप्स में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू की जाएगी। इसके बाद इसे चरणबद्ध तरीके से पूरे देश में विस्तार दिया जाएगा।
धोखाधड़ी पर लगेगी लगाम
फेस ऑथेंटिकेशन के लागू होने से OTP फिशिंग, SIM स्वैप, और पासवर्ड चोरी जैसी घटनाओं पर रोक लगने की उम्मीद है। अब कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे की पहचान का गलत उपयोग नहीं कर सकेगा, क्योंकि ट्रांजैक्शन तभी संभव होगा जब यूजर का चेहरा उसके आधार डेटा से मैच करेगा।
UIDAI के अधिकारियों का मानना है कि इस तकनीक के बाद डिजिटल पेमेंट सेक्टर में विश्वास और सुरक्षा दोनों बढ़ेंगे, और आम उपभोक्ता बिना डर के डिजिटल माध्यमों का उपयोग कर सकेंगे।
फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी में नया युग
अगर यह प्रस्ताव मंजूर हो जाता है, तो यह भारत की फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी में एक ऐतिहासिक बदलाव साबित होगा। अब केवल मोबाइल नंबर या OTP नहीं, बल्कि आपका चेहरा ही आपकी असली पहचान बनेगा, जिससे आप यह साबित कर पाएंगे कि “आप वही हैं” और “आप कितनी राशि ट्रांसफर कर सकते हैं”।
UIDAI का यह कदम न सिर्फ सुरक्षा को बढ़ाएगा, बल्कि भारत को दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल कर देगा, जहां डिजिटल ट्रांजैक्शन में फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।