गिरिडीह: झारखंड सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति “नई दिशा-एक नई पहल” से प्रभावित होकर भाकपा (माओवादी) के एरिया कमेटी सदस्य शिवलाल हेम्ब्रम उर्फ शिवा (25 वर्ष) एवं उनकी पत्नी दस्ता सदस्य सरिता हांसदा उर्फ उर्मिला (19 वर्ष) ने गिरिडीह पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया।
दोनों ने उपायुक्त-सह-जिला दंडाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, पुलिस उप-महानिरीक्षक (सीआरपीएफ), कमांडेंट सीआरपीएफ 154 बटालियन, अपर पुलिस अधीक्षक (अभियान), अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी डुमरी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में आत्मसमर्पण किया।
शिवलाल हेम्ब्रम वर्ष 2017 में नूनूचंद महतो के माध्यम से संगठन में शामिल हुए थे। प्रारंभिक वर्षों में उन्होंने संतरी ड्यूटी और खाना बनाने का कार्य किया। बाद में उन्हें एरिया कमेटी सदस्य के रूप में पदोन्नत किया गया।
संगठन में रहते हुए शिवलाल ने लैपटॉप संचालन की ट्रेनिंग प्राप्त की और शीर्ष नक्सली कमांडर करम दा उर्फ विवेक के अंगरक्षक के रूप में भी कार्य किया।
वहीं, सरिता हांसदा वर्ष 2020 में जया दी के माध्यम से संगठन से जुड़ीं और खाना बनाने के साथ अन्य जिम्मेदारियां संभालने लगीं। वर्ष 2024 में सरिता और शिवलाल ने संगठन में रहते हुए विवाह किया।
दोनों ने स्वीकार किया कि समय के साथ संगठन की नीति और कार्यशैली में विकृति आने लगी। शीर्ष कमांडरों द्वारा निचले स्तर के सदस्यों के साथ अत्याचार, ग्रामीणों पर अनावश्यक हिंसा और लेवी वसूली जैसी गतिविधियों से वे गहराई से निराश हो गए। इसके अलावा पुलिस की लगातार कार्रवाई और परिवार के समझाने-बुझाने के बाद दोनों ने आत्मसमर्पण का निर्णय लिया।
गिरिडीह पुलिस के अनुसार, दोनों ने आत्मसमर्पण से पूर्व नक्सलियों के ठिकानों और गतिविधियों से जुड़ी कई अहम जानकारियां साझा की थीं, जिनके आधार पर पुलिस एवं सीआरपीएफ ने कई सफल अभियान चलाए।
आत्मसमर्पण के बाद दोनों को झारखंड सरकार की पुनर्वास नीति के तहत सभी लाभ प्रदान किए जाएंगे।
गिरिडीह पुलिस ने कहा है कि शिवलाल और सरिता के आत्मसमर्पण से नक्सली घटनाओं में कमी आएगी और अन्य उग्रवादियों को भी मुख्यधारा से जुड़ने की प्रेरणा मिलेगी।
पुलिस ने सभी नक्सली संगठन के सदस्यों से अपील की है कि वे हिंसा का रास्ता छोड़कर सरकार की “नई दिशा-एक नई पहल” नीति का लाभ उठाएं और सामान्य पारिवारिक जीवन का आनंद लें।
गिरिडीह जिला प्रशासन और पुलिस के संयुक्त प्रयास से जिले में नक्सल गतिविधियों पर काफी हद तक नियंत्रण पाया गया है। बीते वर्ष दस लाख के इनामी नक्सली रामदयाल महतो उर्फ निलेश दा ने भी पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया था।
जिले में लगातार चल रहे नक्सल विरोधी अभियानों के चलते उग्रवादियों का मनोबल टूट रहा है और कई नक्सली अब मुख्यधारा में लौटने की राह पर हैं।