गिरिडीह: जिले के सदर अस्पताल में शनिवार दोपहर एक बार फिर लचर स्वास्थ्य व्यवस्था और मानवीय संवेदनहीनता का नजारा देखने को मिला। दोपहर करीब 2 बजे पैर से लाचार एक व्यक्ति को आधार अपडेट कराने के लिए ठेले पर बैठाकर अस्पताल से बाहर ले जाया गया। यह दृश्य देख मौके पर मौजूद लोग स्तब्ध रह गए।
जानकारी के अनुसार, नगर निगम क्षेत्र के बक्सीडीह रोड स्थित झिंझरी मोहल्ला निवासी सुनील राम बीते 2 सितंबर को सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। रांची रिम्स में उनके पैर का ऑपरेशन कर उसमें रॉड डाली गई थी। तब से वे गिरिडीह सदर अस्पताल में नियमित रूप से ड्रेसिंग कराने आते हैं।
शनिवार को भी वे अपनी पत्नी रेणु देवी के साथ अस्पताल पहुंचे थे। बताया गया कि उनका आयुष्मान कार्ड निष्क्रिय हो गया है और इलाज में परेशानी हो रही थी। कार्ड अपडेट के लिए उन्हें आधार केंद्र जाना जरूरी था, जो अस्पताल के बगल में स्थित है।
नर्स ने बीच रास्ते छीनी व्हीलचेयर
रेणु देवी ने बताया कि अस्पताल में व्हीलचेयर मिलने के बाद वह अपने पति को उसी के सहारे आधार केंद्र की ओर ले जा रही थीं। तभी अस्पताल की एक नर्स बीच रास्ते में आकर व्हीलचेयर छीन ली। नर्स ने कथित रूप से कहा— “जैसे ले जाना है वैसे ले जाइए।”
व्हीलचेयर छीने जाने के बाद रेणु देवी असहाय हो गईं। अंततः उन्होंने सड़क किनारे से एक ठेला रुकवाया और अपने घायल पति को उसी में बैठाकर आधार अपडेट केंद्र तक पहुंचाया। यह दृश्य देखकर अस्पताल परिसर में मौजूद लोग दंग रह गए।
लोगों में आक्रोश, कार्रवाई की मांग
इस घटना की तस्वीरें और वीडियो आसपास के लोगों ने रिकॉर्ड कर लिए, जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं। लोगों ने इसे स्वास्थ्य विभाग की विफलता और अस्पताल कर्मियों की असंवेदनशीलता का प्रतीक बताया।
स्थानीय नागरिकों ने कहा कि अस्पताल प्रशासन को मरीजों की सुविधा की बजाय औपचारिकताओं की चिंता रहती है। उन्होंने इस पूरे प्रकरण में जिम्मेदार नर्स और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
मंत्री और प्रशासन से संज्ञान की अपील
स्थानीय लोगों ने स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और गिरिडीह जिले के प्रभारी मंत्री सुदीब्य कुमार सोनू से इस मामले पर तुरंत संज्ञान लेने की अपील की है। साथ ही जिला प्रशासन से पूरी घटना की जांच कर अस्पताल की व्यवस्था में सुधार की मांग की गई है।
मानवता पर सवाल
एक घायल व्यक्ति से इस तरह की संवेदनहीनता न केवल अस्पताल प्रशासन की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न लगाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों के साथ कैसा व्यवहार होता है। लोगों का कहना है कि अगर अस्पताल में मानवता की भावना ही खत्म हो जाए, तो मरीजों का भरोसा कैसे कायम रहेगा।