रांची: झारखंड में मेडिकल शिक्षा व्यवस्था से जुड़ी एक गंभीर गड़बड़ी सामने आई है। राज्य के सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेजों में फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर MBBS और PG मेडिकल कोर्सों में नामांकन लेने का मामला उजागर हुआ है। इस पूरे प्रकरण को बेहद गंभीर मानते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तत्काल CID जांच के आदेश दिए हैं।
फर्जी जाति, ईडब्ल्यूएस और निवास प्रमाणपत्र पर मिला प्रवेश
मुख्यमंत्री को मिली शिकायतों में यह बात सामने आई कि कई छात्रों ने फर्जी जाति प्रमाणपत्र, स्थायी निवासी (Domicile) और EWS सर्टिफिकेट का इस्तेमाल कर मेडिकल सीटें हासिल कर लीं।
आरोप है कि इन फर्जी दस्तावेजों के जरिए कुछ अभ्यर्थियों ने आरक्षण कोटे का अनुचित लाभ उठाया, जिससे यथार्थ पात्र उम्मीदवारों के अधिकार प्रभावित हुए।
इंटर-डिपार्टमेंटल कमेटी गठित
मुख्यमंत्री ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत प्रभाव से एक अंतर-विभागीय (Inter-Departmental) समिति बनाने का निर्देश दिया है। समिति में तीन विभागों के अधिकारी शामिल होंगे—
• कार्मिक विभाग
• स्वास्थ्य विभाग
• राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग
यह समिति पहली स्तर की जांच करेगी। रिपोर्ट मिलने के बाद CID विस्तृत जांच शुरू करेगी और आवश्यक होने पर प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।
स्ट्रे राउंड काउंसिलिंग पर रोक
फर्जी प्रमाणपत्र की आशंका को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने MBBS के स्ट्रे राउंड काउंसिलिंग पर तत्काल रोक लगा दी है।
JCECEB ने आधिकारिक सूचना जारी कर बताया कि अगला आदेश मिलने तक काउंसिलिंग की सभी प्रक्रियाएं स्थगित रहेंगी।
• स्ट्रे राउंड काउंसिलिंग 6 नवंबर से चल रही थी
• शुक्रवार को सीट आवंटन होना था
• शनिवार से नामांकन शुरू होने वाला था
• नामांकन की अंतिम तिथि 20 नवंबर तय थी अब पूरा शेड्यूल रोक दिया गया है।
केंद्र से काउंसिलिंग की तिथि बढ़ाने का आग्रह
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्वास्थ्य विभाग को केंद्र सरकार को पत्र भेजने के निर्देश दिए हैं।
राज्य सरकार ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय व NMC से काउंसिलिंग की तिथि बढ़ाने व स्थगन पर सहमति देने का आग्रह किया है।
कहां-कहां मिली अनियमितता?
प्रारंभिक जांच में पता चला है कि लगभग 10 छात्रों ने फर्जी ST प्रमाणपत्र बनवाकर मेडिकल सीटें हासिल कीं।
जिन कॉलेजों में अनियमितताएं मिली हैं, उनमें शामिल हैं—
• रिम्स, रांची
• शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज, हजारीबाग
• फूलो-झानो मेडिकल कॉलेज, दुमका
स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के 20 जिलों के उपायुक्तों से तत्काल रिपोर्ट मांगी है।
कड़ी कार्रवाई के संकेत
स्वास्थ्य विभाग और सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि मामले में दोषी पाए गए छात्रों के
• नामांकन रद्द कर कानूनी कार्रवाई किए जा सकते हैं
• फर्जी दस्तावेज जारी करने वाले अधिकारियों पर भी कठोर कार्रवाई होगी
भविष्य में ऐसे मामलों को रोकने के लिए सत्यापन प्रणाली और दस्तावेज जांच प्रक्रिया को और मजबूत किए जाने पर विचार किया जा रहा है।
मेडिकल शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता की बड़ी परीक्षा
झारखंड में मेडिकल शिक्षा से जुड़े इस मामले ने पूरी व्यवस्था की गंभीर खामियों की ओर इशारा किया है।
यही कारण है कि सरकार ने इसे उच्च प्राथमिकता में लिया है और जांच का दायरा तेजी से बढ़ाया जा रहा है।
राज्य में मेडिकल शिक्षा की पारदर्शिता और विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए यह जांच बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।