बाल विवाह मुक्त भारत अभियान: गिरिडीह में जागरूकता रथ रवाना, 100 दिनों का विशेष अभियान शुरू

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बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत गुरुवार को समाहरणालय परिसर से जागरूकता वाहन (जागरूकता रथ) को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। उप विकास आयुक्त (डीडीसी) स्मृता कुमारी ने अधिकारियों और कर्मियों को बाल विवाह रोकने की शपथ दिलाई और हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत की।

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अभियान के अंतर्गत 100 दिनों तक जिले के गांवों में व्यापक जनजागरूकता चलाई जाएगी, जिसमें बाल विवाह के दुष्परिणाम, कानूनी प्रावधान और बाल संरक्षण से जुड़ी जानकारियाँ लोगों तक पहुंचाई जाएंगी। जागरूकता रथ ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण करेगा और बाल विवाह रोकथाम का संदेश जन-जन तक पहुंचाएगा।

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डीडीसी ने कहा कि बाल विवाह एक गंभीर सामाजिक बुराई और कानूनी अपराध है, जो बालिकाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा और भविष्य को प्रभावित करता है। कम उम्र में गर्भधारण से जच्चा–बच्चा दोनों के जीवन पर खतरा बढ़ जाता है, जबकि समय से पहले पारिवारिक जिम्मेदारियाँ मानसिक तनाव का कारण बनती हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि बाल विवाह की आशंका या जानकारी मिलने पर तुरंत पंचायत प्रतिनिधियों या जिला प्रशासन को सूचित करें।

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जिला जनसंपर्क पदाधिकारी, श्रीमती अंजना भारती ने भी कहा कि बाल विवाह कई पीढ़ियों का भविष्य नष्ट कर देता है। इसके उन्मूलन के लिए समाज के सभी वर्गों—शिक्षक, बुद्धिजीवी, जनप्रतिनिधि और युवा—को आगे आने की आवश्यकता है।

 

जिला समाज कल्याण पदाधिकारी ने बताया कि विवाह के लिए लड़के की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष और लड़की की 18 वर्ष निर्धारित है। इसका उल्लंघन करने पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना और दो वर्ष तक कारावास का प्रावधान है। साथ ही बाल श्रम, बाल तस्करी, बाल यौन शोषण और बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 से संबंधित जानकारी भी अभियान के दौरान दी जाएगी।

कार्यक्रम में जिला भू-अर्जन पदाधिकारी, जिला नजारत उप समाहर्ता, परीक्ष्यमान उपसमाहर्ता सहित कई अधिकारी उपस्थित रहे।

 

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