शीतलहर को देखते हुए उपायुक्त-सह-जिला दंडाधिकारी, श्री रामनिवास यादव के द्वारा जानकारी दी गई कि मौसम विभाग से प्राप्त पूर्वानुमान के अनुसार आगामी दिनों में तापमान में गिरावट की संभावना है, जिससे व्यापक स्तर पर शीतलहर और पाला का प्रभाव देखा जा सकता है। इस स्थिति को देखते हुए जिले के सभी प्रखंडों को सतर्कता बरतने तथा पूर्व तैयारी के साथ राहत कार्यों की योजना बनाने का निर्देश दिया गया है। साथ ही ठंड से बचाव हेतु दिशा निर्देश जारी किये हैं, जो निम्न है।
● शीतलहर के दौरानः क्या करें
- मौसम की जानकारी एवं आपातकालीन प्रक्रिया सूचना पर ध्यान दें तथा सुझावों का पालन करें।
- जितना हो सके घर के अंदर रहें और ठंडी हवा के संपर्क में आने से बचें और गर्मी को बनाए रखने के लिये यात्रा कम से कम करें।
- भारी कपड़ों की एकपरत के बजाय ढीले ढाले हल्के, वायुरोधी गर्म ऊनी कपड़ों की कई परतें पहनें टाइट कपड़े रक्त प्रवाह को कम करते हैं।
- अपने आप को सूखा रखें यदि गीले हो जाऐ तो अपने सिर, गर्दन् हाथ और पैर की उंगलियों को पर्याप्त रूप से कवर करें क्योकि अधिकांश गर्मी का नुकसान शरीर के इन्हीं हिस्सों से होता है।
- दस्ताने के ऊपर मिट्टन भी पहनें मिट्टन ठंड से अधिक गर्मी और इन्सुलेशन प्रदान करते हैं क्योंकि उंगलियां अपनी गर्मी को साझा करते हुए ठंड के सम्पर्क में कम आती है।
- गर्मी को बनाए रखने के लिये टोपी और मफलर का प्रयोग करें इन्सुलेटेड या वाटरप्रूफ जूते पहनें।
- शरीर का तापमान संतुलित बनाए रखने के लिये सुपाच्य भोजन करें।
- पर्याप्त प्रतिरक्षा बनाए रखने के लिये विटामिन सी से युक्त फल व सब्जियां खायें।
- नियमित रूप से गर्म तरल पदार्थ लें, क्योंकि यह ठंड से लड़ने के लिये शरीर में गर्मी बनाए रखेंगे।
- अपने शरीर की नियमित रूप से तेल, पैट्रोलियम जैली तथा बॉडीक्रीम से नमी बनाये रखें।
- बड़ों तथा बच्चों का खयाल रखें पड़ोसी तथा वृद्ध जो जीवनयापन हेतु जो अकेले रहते हैं का ध्यान रखें।
- आवश्यकतानुसार आवश्यक वस्तुऐं एकत्र करके रखें पानी की पर्याप्त मात्रा रखें क्योंकि पानी की पाईपलाईन में जमाव हो सकता है।
- ठंड में लंबे समय तक रहने से त्वचा पीली, सख्त व सुन्न तथा हाथ पैर की उगलियां, नाक, तथा कान पर नीले फफोले हो सकते है।
ठंड की लहरों के सम्पर्क में आने पर उंगलियों, पैर की उंगलियां, कान और नाक की नोक पर सुन्नता, सफेद या पीला दिखाई देने जैसे फॉस्टबाईट के लक्षणों पर ध्यान दें, शीतदश से प्रभावित अंगों का गर्म पानी से उपचार करें शरीर के अप्रभावित हिस्सों को छूने के लिये तापमान आरामदायक होना चाहिए।
शीतलहर के गंभीर संपर्क से हाइपोथर्मिया हो सकता है शरीर के तापमान में कमी जो कपकपी, बोलने में कठिनाई, उनीदापन, मांसपेशियों में अकड़न, सास का भारी होना, कमजोरी और चेतना रहित होने का कारण बन सकती है हाइपोथर्मिया एक आपात चकित्सा स्थिति है जिसे तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता होती है
हाइपोथर्मिया/ शीतदश से पीड़ित किसी भी व्यक्ति के लिये अति तत्काल चिकित्सा की तलाश की जानी चाहिए।
एन.डी.एम.ए. के मोबाईल एप्लीकेशन को डाउनलोड करें फस्ट एड स्टूडेट एड टीचर, फास्टद्ध फस्ट एड की सूचना हेतु।
पालतू जानवरों को अन्दर रखें पशुधन एव घरेलू जानवरों को ठंड से बचाने के लिये भीतर रखें अधिक समय तक ठंड में न रहें।
शीतलहर के दौरानः क्या न करें
कपकपी की उपेक्षा न करें शरीर द्वारा गर्मी को खोने का यह पहला लक्षण है घर के भीतर रहें।
अल्कोहल का प्रयोग न करें यह शरीर के तापमान को कम करता है तथा हाइपोथर्मिया के खतरे को बढ़ावा देता है।
शीतदश के भाग की मालिश न करें यह अधिक हानिकारक हो सकता है।
पूर्ण सावधानी के बिना प्रभावित व्यक्ति को कोई भी द्रव्य पीने को न दें।
बिना सहायता के आग जला कर न रखें, यह हानिकारक हो सकती है।
बन्द कमरे में मोमबत्ती, लकड़ी
आदि न जलाएंगे तथा कार्बनमोनोक्साइड से बचाव करें।
मैं अभिमन्यु कुमार पिछले चार वर्षों से गिरिडीह व्यूज में बतौर “चीफ एडिटर” के रूप में कार्यरत हुं,आप मुझे नीचे दिए गए सोशल मीडिया के द्वारा संपर्क कर सकते हैं।