गिरिडीह। भाई-बहन के अटूट प्रेम और स्नेह का प्रतीक भैया दूज का पर्व शुक्रवार को गिरिडीह जिले में श्रद्धा, उत्साह और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया गया। सुबह से ही पूरे जिले में धार्मिक माहौल बना रहा। बहनों ने स्नान के बाद विधिवत पूजा-अर्चना कर भाइयों के माथे पर तिलक लगाया और उनके दीर्घायु व सुख-समृद्धि की कामना की।

इस अवसर पर बहनों ने पारंपरिक रीति से हलजुआत के चने का प्रसाद तैयार कर भाइयों को खिलाया और भगवान धर्मराज की पूजा की। कई स्थानों पर बहनों ने ‘रंगीली कांटा’ जीभ में चुभाकर अपने भाइयों की लंबी आयु के लिए प्रार्थना भी की — जो भक्ति और आस्था का प्रतीक माना जाता है।

पूरे गिरिडीह जिले में यह पर्व पारिवारिक प्रेम और लोक परंपरा का अनूठा संगम बन गया। महिलाओं और युवतियों ने एक दिन पहले ही पूजन सामग्री और उपहारों की खरीदारी कर तैयारी कर ली थी। पूजा के दौरान रूई से बनी माला भाइयों के हाथों में पहनाई गई, जिसे दीर्घायु और शुभता का प्रतीक माना जाता है।
मंदिरों में भी दिनभर पूजा-पाठ और श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक भैया दूज के गीत और पारंपरिक रस्में माहौल को भक्तिमय बनाती रहीं। हर बहन के चेहरे पर अपने भाई के प्रति प्रेम और स्नेह झलकता नजर आया, वहीं भाइयों ने भी बहनों को उपहार देकर अपने प्रेम और सुरक्षा का वचन दोहराया।
भैया दूज का यह पर्व न केवल भाई-बहन के रिश्ते को और प्रगाढ़ बनाता है, बल्कि भारतीय संस्कृति और पारिवारिक मूल्यों की गहराई को भी दर्शाता है।

मैं अभिमन्यु कुमार पिछले चार वर्षों से गिरिडीह व्यूज में बतौर “चीफ एडिटर” के रूप में कार्यरत हुं,आप मुझे नीचे दिए गए सोशल मीडिया के द्वारा संपर्क कर सकते हैं।