गिरिडीह: नगर निगम गिरिडीह की कार्यप्रणाली को लेकर समाजसेवी राजेश सिन्हा ने नगर विकाश मंत्री के नाम झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के जिला अध्यक्ष को ज्ञापन सौंपा ।
इस ज्ञापन की प्रतिलिपि गिरिडीह उपायुक्त और उप नगर आयुक्त को भी दी गई है।
ज्ञापन में नगर निगम की अनियमितताओं और पारदर्शिता की कमी को लेकर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। मार्च 2023 में गिरिडीह नगर निगम भंग हो गया था, बावजूद इसके पूर्व वार्ड पार्षदों द्वारा सफाई समेत अन्य कार्यों का संचालन किया जा रहा है, जो न्यायसंगत नहीं माना जा सकता।
पूर्व वार्ड पार्षद क्यों चला रहे हैं सफाई व्यवस्था?
राजेश सिन्हा ने अपने ज्ञापन में मांग की है कि नगर आयुक्त को सफाई व्यवस्था की पूरी जिम्मेदारी अपने अधिकार क्षेत्र में लेनी चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि जब सफाईकर्मी नगर निगम के अधीन हैं, तो उनकी मॉनिटरिंग सीधे नगर निगम द्वारा क्यों नहीं की जा रही?
उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक दबाव के चलते पूर्व वार्ड पार्षदों के अलावा अन्य राजनीतिक प्रतिनिधियों को भी सफाई व्यवस्था से जोड़ा गया है। उन्होंने वार्ड 9 का उदाहरण देते हुए कहा कि स्वर्गीय वार्ड पार्षद अमित बरदियार के भाई रंजय बरदियार पिछले पांच वर्षों से सफाई व्यवस्था संभाल रहे थे, लेकिन अचानक उनसे यह जिम्मेदारी छीन ली गई। जबकि अन्य 35 वार्डों में पूर्व पार्षदों को यह कार्य करने की छूट मिली हुई है।
कंबल वितरण में भी अनियमितता का आरोप
ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि नगर निगम द्वारा कंबल वितरण में भी पक्षपात किया गया। नगर आयुक्त को इसे अपने अधिकार क्षेत्र में लेना था, लेकिन राजनीतिक प्रभाव के चलते कई ऐसे लोगों को कंबल वितरण का कार्य सौंपा गया, जो वर्तमान में पार्षद भी नहीं हैं।
सफाई यंत्र बेकार, करोड़ों की गाड़ियां सड़ रही हैं
ज्ञापन में आरोप लगाया गया कि पूर्व नगर आयुक्त के कार्यकाल में सफाई के लिए 20-25 करोड़ रुपये की लागत से वाहन खरीदे गए थे, लेकिन वे एक साल से अनुपयोगी पड़े हैं। भाकपा (माले) के विरोध प्रदर्शन के बाद कुछ दिन सफाई कार्य दिखाने के लिए किया गया, लेकिन नियमित सफाई व्यवस्था अब भी अधूरी है।
जल आपूर्ति कर्मियों को नहीं मिल रहा उचित मानदेय
ज्ञापन में नगर निगम क्षेत्र में कार्यरत 70-80 मानदेय पर कार्यरत जल आपूर्ति कर्मियों की दुर्दशा का भी जिक्र किया गया। आरोप लगाया गया कि उन्हें न तो सही समय पर वेतन दिया जाता है और न ही स्वतंत्र रूप से काम करने दिया जाता है।
वेस्ट मैनेजमेंट में घोटाले की आशंका
ज्ञापन में आकांक्षा वेस्ट मैनेजमेंट को दिए गए टेंडर पर भी सवाल खड़े किए गए। आरोप है कि यह टेंडर जल्दबाजी में पास किया गया और फंडिंग में भी गड़बड़ी हुई। सफाई के नाम पर सिर्फ दिखावा किया जा रहा है, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और है।
महिला सफाईकर्मियों की संख्या बेहद कम
ज्ञापन में नगर निगम के सफाईकर्मियों की स्थिति पर भी चिंता जताई गई है। बताया गया कि नगर निगम में महिला सफाईकर्मियों की संख्या मात्र चार-पांच है, जबकि पुरुष सफाईकर्मियों की भी भारी कमी है।
इस ज्ञापन पर दोनों हस्ताक्षरकर्ताओं ने नगर निगम की व्यवस्था की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है।