UPI और RuPay कार्ड से पेमेंट पर लग सकता है चार्ज! सरकार फिर से मर्चेंट फीस लागू करने की तैयारी

Niranjan Kumar
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भारत में डिजिटल भुगतान क्रांति का प्रतीक बन चुका UPI (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) और RuPay डेबिट कार्ड जल्द ही मुफ्त नहीं रह सकते। सरकार इन पेमेंट माध्यमों पर फिर से मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) लागू करने पर विचार कर रही है। हालांकि, छोटे व्यापारियों को इससे राहत देने का प्रस्ताव है, लेकिन बड़े मर्चेंट्स को शुल्क देना पड़ सकता है। आइए जानते हैं कि यह कदम क्यों उठाया जा रहा है और इससे ग्राहकों और व्यापारियों पर क्या असर पड़ेगा।

सरकार क्यों विचार कर रही है MDR लागू करने पर?

वर्तमान में, UPI और RuPay डेबिट कार्ड से किए गए ट्रांजैक्शन पर कोई मर्चेंट चार्ज नहीं लिया जाता। इसका कारण यह है कि NPCI (नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) इन सेवाओं को बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के उपलब्ध कराता है। लेकिन अब सरकार और बैंकों के बीच इस व्यवस्था को बदलने पर चर्चा हो रही है।

इकोनॉमिक टाइम्स ने दो वरिष्ठ बैंक अधिकारियों के हवाले से छपी खबर में अधिकारी ने बताया कि:

“बैंकों ने सरकार को औपचारिक रूप से एक प्रस्ताव दिया है, जिसमें कहा गया है कि उन मर्चेंट्स से MDR लिया जाए जिनका वार्षिक GST टर्नओवर 40 लाख रुपए से अधिक है।”

इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि यदि बड़े व्यापारी अन्य डिजिटल पेमेंट जैसे Visa, MasterCard डेबिट/क्रेडिट कार्ड पर MDR शुल्क दे रहे हैं, तो वे UPI और RuPay डेबिट कार्ड पर भी यह शुल्क दे सकते हैं।

कैसा होगा नया चार्जिंग सिस्टम?

सरकार एक “टायर्ड प्राइसिंग सिस्टम” (वर्गीकृत शुल्क प्रणाली) लागू करने की योजना बना रही है। इसके तहत –

1. छोटे व्यापारियों के लिए ट्रांजैक्शन शुल्क नहीं होगा या बहुत कम होगा।

2. बड़े व्यापारियों को UPI और RuPay ट्रांजैक्शन पर अधिक शुल्क देना होगा।

इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि डिजिटल पेमेंट सिस्टम का विस्तार तो हो, लेकिन बैंक और पेमेंट गेटवे कंपनियों को भी वित्तीय रूप से मजबूत किया जा सके।

• पहले MDR कैसे काम करता था और इसे क्यों हटाया गया था?

• 2022 से पहले, व्यापारियों को बैंकों को ट्रांजैक्शन अमाउंट का लगभग 1% तक MDR शुल्क देना पड़ता था। लेकिन डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए वित्त वर्ष 2022 के बजट में इसे हटा दिया गया।

इसके बाद क्या हुआ?

• UPI सबसे लोकप्रिय डिजिटल भुगतान माध्यम बन गया।

• RuPay डेबिट कार्ड का भी तेजी से विस्तार हुआ।

• सरकार को डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ावा देने के अपने लक्ष्य में बड़ी सफलता मिली।

• हालांकि, बैंक और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स को इससे आर्थिक नुकसान हुआ, क्योंकि उन्हें ट्रांजैक्शन प्रोसेसिंग का कोई सीधा लाभ नहीं मिला। यही वजह है कि वे अब फिर से MDR लागू करने की मांग कर रहे हैं।

UPI और RuPay की मौजूदा स्थिति

फरवरी 2025 में 1611 करोड़ UPI ट्रांजैक्शन हुए, जिनके माध्यम से कुल 21.96 लाख करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ। यह पिछले साल की तुलना में 33% अधिक है।

क्या यह संख्या हर महीने बढ़ रही है?

नहीं, जनवरी 2025 में UPI ट्रांजैक्शन 1699 करोड़ थे, यानी फरवरी में 5% की गिरावट आई। हालांकि, वार्षिक स्तर पर यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है।

बड़े रिटेलर्स को कितना असर पड़ेगा?

इंडस्ट्री के विशेषज्ञों के अनुसार, बड़े रिटेल मर्चेंट्स की लगभग 50% से अधिक बिक्री डिजिटल भुगतान से होती है। ऐसे में अगर UPI पेमेंट्स पर एक छोटा शुल्क भी लगाया जाता है, तो इसका सीधा असर इन व्यापारियों की लागत पर पड़ेगा।

हालांकि, यह शुल्क ग्राहक से नहीं, बल्कि व्यापारियों से लिया जाएगा, लेकिन इसका प्रभाव कीमतों में वृद्धि के रूप में ग्राहकों तक पहुंच सकता है।

आम जनता और छोटे व्यापारियों पर क्या असर पड़ेगा?

1. छोटे व्यापारियों के लिए राहत:

• जिनका वार्षिक टर्नओवर 40 लाख से कम है, उन्हें शुल्क नहीं देना होगा।

• इससे छोटे किराना स्टोर्स और स्थानीय व्यापारियों को डिजिटल भुगतान जारी रखने में आसानी होगी।

2. बड़े व्यापारियों की लागत बढ़ेगी:

• सुपरमार्केट, ऑनलाइन स्टोर्स और बड़े ब्रांड्स को MDR शुल्क चुकाना होगा।

• संभावना है कि ये व्यापारी इस अतिरिक्त लागत को ग्राहकों से वसूलने की कोशिश करें।

3. डिजिटल पेमेंट की लोकप्रियता प्रभावित हो सकती है:

यदि UPI और RuPay पर शुल्क लगाया जाता है, तो कुछ व्यापारी नकद भुगतान को फिर से प्राथमिकता दे सकते हैं।

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