JSSC की भारी चूक, भविष्य की परीक्षा का रिजल्ट भूतकाल में? बाबूलाल मरांडी ने साधा निशाना…

Pintu Kumar
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रांची: लंबे इंतज़ार के बाद झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) ने आखिरकार 2025-26 सत्र का परीक्षा कैलेंडर शुक्रवार को जारी कर दिया। इस कैलेंडर में आयोग ने आगामी वर्ष में आयोजित होने वाली प्रमुख प्रतियोगी परीक्षाओं की संभावित तिथियां घोषित की हैं। लेकिन कैलेंडर जारी होते ही यह विवादों में घिर गया है।

दरअसल, झारखंड स्नातक (तकनीकी/विशिष्ट) योग्यता धारक संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा-2025 के संबंध में आयोग ने जो संभावित तिथियां दर्शाई हैं, उनमें गंभीर त्रुटि सामने आई है। कैलेंडर के अनुसार, इस परीक्षा के लिए विज्ञापन जून 2025 में प्रकाशित किया जाएगा और कंप्यूटर आधारित परीक्षा (CBT) का आयोजन नवंबर 2025 में होगा। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इसी परीक्षा का परिणाम फरवरी 2025 में घोषित करने की बात कही गई है, जो परीक्षा के आयोजन से पहले ही है।

इस त्रुटि को लेकर विपक्ष हमलावर हो गया है और JSSC के कामकाज पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

बाबूलाल मरांडी ने साधा निशाना

पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने फेसबुक पर लिखा,

“लगता है Hemant Soren जी टाइम ट्रैवल कर भूतकाल में युवाओं को नौकरी देने की तैयारी कर रहे हैं।

दरअसल, अरसे बाद आज JSSC ने परीक्षा कैलेंडर जारी किया, लेकिन परीक्षा परिणाम जारी करने की तिथि जनवरी-फरवरी 2025 की निर्धारित की है, जो कब का बीत चुका है। 

हेमंत सोरेन के दुलारे आयोग JSSC ने युवाओं के भविष्य का मज़ाक बना कर रख दिया है। यह बेतुका परीक्षा कैलेंडर ही बता रहा है कि रोजगार के मुद्दे पर मुख्यमंत्री की चौतरफा भद्द पीटने के बाद कैलेंडर निकाल कर महज़ खानापूर्ति की जा रही है। 

हेमंत जी, यदि आप चाहें तो परीक्षा कैलेंडर बनाने में पूरे पांच साल का समय लीजिए, लेकिन इस तरह युवाओं के भावनाओं के साथ खिलवाड़ करना बंद करिए।”

JSSC की चुप्पी सवालों के घेरे में

इस त्रुटि को लेकर अभी तक आयोग की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन जिस प्रकार विपक्षी दलों ने इसे मुद्दा बनाना शुरू कर दिया है, उससे यह साफ है कि आने वाले दिनों में यह मामला और गरमाने वाला है।

युवाओं में भी नाराज़गी

इधर, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं में भी इस त्रुटिपूर्ण कैलेंडर को लेकर नाराज़गी है। छात्रों का कहना है कि ऐसे गैर-जिम्मेदाराना रवैये से उनके भविष्य को गम्भीर नुकसान पहुँच सकता है। वे मांग कर रहे हैं कि आयोग जल्द से जल्द इस पर स्पष्टीकरण दे और संशोधित कैलेंडर जारी करे।

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