हनुमान जयंती विशेष: भक्ति, शक्ति और सेवा के प्रतीक हैं पवनपुत्र – जानिए उनसे सीखने योग्य 11 अनमोल बातें

आज पूरे देश में श्रद्धा, आस्था और उल्लास के साथ हनुमान जयंती मनाई जा रही है। यह दिन हिंदू धर्म के सबसे पूजनीय और शक्तिशाली देवता हनुमान जी के जन्म का पर्व है।

Niranjan Kumar
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आज पूरे देश में श्रद्धा, आस्था और उल्लास के साथ हनुमान जयंती मनाई जा रही है। यह दिन हिंदू धर्म के सबसे पूजनीय और शक्तिशाली देवता हनुमान जी के जन्म का पर्व है। मान्यता है कि चैत्र पूर्णिमा के दिन अंजनादेवी के पुत्र और वायुदेव के अंश से हनुमान जी का जन्म हुआ था। उन्हें राम भक्त, संकटमोचन, अष्टसिद्धि नवनिधि के दाता और अजर-अमर देवता के रूप में जाना जाता है।

हनुमान जी का चरित्र अद्भुत बल, बुद्धि, भक्ति और निस्वार्थ सेवा का आदर्श उदाहरण है। वे बाल्यकाल से ही असाधारण शक्तियों के स्वामी थे। रामायण, महाभारत और पुराणों में उनके शौर्य, भक्ति और त्याग की अनगिनत कहानियां मिलती हैं, जो आज भी हर युग के इंसान के लिए प्रेरणास्रोत हैं।

हनुमान जी का शौर्य और योगदान

हनुमान जी ने न सिर्फ लंका की यात्रा कर सीता माता का पता लगाया, बल्कि अशोक वाटिका में राक्षसों से अकेले युद्ध कर लंका को जलाया। संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण की प्राण रक्षा की। उन्होंने रावण जैसे महाबली राक्षस को नष्ट करने में भगवान राम की सहायता की। उनके भीतर असीम साहस, अडिग निष्ठा और त्याग की भावना थी। वे सच्चे अर्थों में ‘राम काज करिबे को आतुर’ रहने वाले देवता थे।

हनुमान जी से सीखने योग्य 11 प्रेरणादायक बातें:

  1. अडिग भक्ति: भगवान राम के प्रति उनकी भक्ति अटूट और निष्कलंक थी।
  2. विनम्रता: इतनी शक्तियों के बावजूद वे हमेशा विनम्र और सहज बने रहे।
  3. साहस: लंका जैसे राक्षसी साम्राज्य में अकेले प्रवेश करना और उसका विध्वंस करना अद्वितीय साहस का उदाहरण है।
  4. सेवा भावना: उन्होंने हर कार्य निःस्वार्थ भाव से किया, बिना किसी अपेक्षा के।
  5. बुद्धिमत्ता: सुग्रीव और विभीषण जैसे नेताओं को राम के पक्ष में करना उनकी बुद्धिमत्ता को दर्शाता है।
  6. शारीरिक और मानसिक बल: वे शारीरिक रूप से जितने बलशाली थे, मानसिक रूप से भी उतने ही मजबूत थे।
  7. कर्तव्यपरायणता: हर परिस्थिति में अपने कर्तव्य को सबसे ऊपर रखा।
  8. समर्पण: भगवान राम के प्रति उनका समर्पण इतना था कि उन्होंने अपनी जान तक दांव पर लगा दी।
  9. धैर्य: हर कठिन परिस्थिति में धैर्य नहीं खोया, बल्कि समाधान खोजा।
  10. सत्यनिष्ठा: सत्य के पक्ष में खड़े रहे, चाहे परिस्थिति कुछ भी हो।
  11. अनुशासन: वे एक आदर्श सेनापति, सेवक और साधक थे, जिन्होंने मर्यादा और अनुशासन को कभी नहीं छोड़ा।

हनुमान जयंती केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आत्मनिरीक्षण और आत्मविकास का अवसर है। पवनपुत्र हनुमान का जीवन हमें बताता है कि शक्ति का सही प्रयोग, निष्ठा और सेवा भाव से किया जाए तो कोई भी कार्य असंभव नहीं होता। आज के दिन हम सभी को उनसे प्रेरणा लेकर अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का संकल्प लेना चाहिए।

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