बरवाडीह (गिरिडीह): मोहर्रम की सातवीं तारीख को बरवाडीह स्थित ऐतिहासिक कर्बला मैदान में मंगलवार को अकीदतमंदों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके साथियों की शहादत की याद में आयोजित इस मौके पर श्रद्धालु दूर-दराज से पहुंचे और ग़मगीन माहौल में चादरपोशी, गुलपोशी और नजर-नियाज कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
बारिश की आशंका को देखते हुए कर्बला मैदान में पंडाल और शामियाने का बेहतर इंतजाम किया गया था। आयोजन की सफलता में कर्बला मैनेजिंग कमेटी की सक्रिय भूमिका सराहनीय रही।
680 ईस्वी की 7वीं मोहर्रम को कर्बला के मैदान में हज़रत इमाम हुसैन ने ज़ुल्म के खिलाफ आवाज़ बुलंद की थी। इसी दिन उनके छोटे भाई हज़रत क़ासिम की शहादत हुई थी। कर्बला में हुसैन और उनके 72 साथियों की कुर्बानियां आज भी इंसाफ और इंसानियत की सबसे बड़ी मिसाल मानी जाती हैं।
हर साल की तरह इस बार भी उमड़ी भीड़
हर साल की भांति इस वर्ष भी श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या बरवाडीह कर्बला मैदान में पहुंची। कई परिवारों ने मन्नतें पूरी होने पर चादरें चढ़ाईं और फातेहा पढ़ा। पूरा वातावरण ग़म और श्रद्धा से सराबोर रहा।
मैनेजिंग कमेटी द्वारा बारिश के पूर्वानुमान को देखते हुए विशेष इंतजाम किए गए थे। आयोजन की सफलता में वार्ड पार्षद अब्दुल्ला अज़ीमी, सरपरस्त आबिद हुसैन, गांधी मोहम्मद सेरु, सरफराज, मोहम्मद नौशाद उर्फ मुन्ना (सदर), मोहम्मद मोइन आज़ाद (जनरल सेक्रेटरी), मोहम्मद तारीख (ख़ाजिन), मास्टर मोहम्मद अख्तर अंसारी (नायब सेक्रेटरी), मोहम्मद सरफुद्दीन, मंसूर वारसी, मोहम्मद कमरुद्दीन, मोहम्मद अनवर, मोहम्मद इबरार, अमीन अकेला, मोहम्मद कमाल, मुख्तार हुसैनी, कलीम कादरी, मोहम्मद मोईन, अब्दुस सलाम, मुजाहिद, मोजाबीर मोहम्मद शमीम, अलाउद्दीन, मोहम्मद रियाज़ समेत अन्य पदाधिकारियों की अहम भूमिका रही।
इस दौरान पूरी व्यवस्था अनुशासित और शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुई।