Parenting Tips Teach Moral Values Of Diwali: इस वर्ष दीपोत्सव 10 नवंबर से शुरु हो रहा है। पांच दिवसीय पर्व के पहले दिन धनतेरस, दूसरे दिन नरक चतुर्दशी, फिर 12 नवंबर को दिवाली मनाई जाती है। दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा और भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। हिंदू धर्म के मुताबिक, दिवाली घर ही नहीं मन के अंधकार को मिटा देने वाला पर्व है। अंधकार पर प्रकाश की विजय के प्रतीक के रूप में दिवाली मनाते हैं।
मान्यता है कि अयोध्या नरेश श्री राम पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास पूरा करके अपने राज्य वापस आए थे। उनके आगमन की खुशी में अयोध्यावासियों ने दीप प्रज्वलित करके पूरी राज्य को प्रकाशमय कर दिया था। अंधकार को रोशन कर दिया था। नगरवासियों को महसूस हुआ जैसे प्रभु श्रीराम उनके दुखों का हरण करने के लिए आ रहे है।
दिवाली के पर्व को लोग आज भी प्रकाश पर्व के रूप में मनाते हैं। भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा होती है। लोग आतिशबाजी करते हैं। तरह-तरह के पकवान बनते हैं। हालांकि दिवाली के सही अर्थ को आजकल बच्चे नहीं समझ पाते। उनके लिए दिवाली का मतलब सिर्फ लाइटिंग, पटाखे और मिठाइयां होती हैं। इस दिवाली अपने बच्चों को शिष्टाचार से जुड़ी अच्छी आदतों के बारे में सिखाएं, ताकि उनमें गुणों की वृद्धि हो सके और वह सफल और आदर्श जीवन जी सकें।
◆ आचरण
इस दिवाली बच्चों को अच्छे व्यवहार से जुड़ी शिक्षा दे सकते हैं। उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम राम के बारे में बताएं और उनके आचरण को अपनाने के लिए बच्चे को प्रेरित करें। बच्चों को सिखाएं कि बड़ों के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए। बुजुर्गों और अपने से छोटों से प्यार जताने के तरीके समझाएं।
◆ साफ-सफाई
बच्चों को साफ-सफाई का महत्व समझाने के लिए दिवाली उपयुक्त समय है। दिवाली में घर की सफाई करते समय बच्चों की मदद लें। उन्हें बताएं कि घर और आसपास की सफाई सेहत के लिए भी अच्छी होती है, साथ ही आपको एक अच्छा जीवन देती है। इसका धार्मिक महत्व भी है। कहते हैं जहां स्वच्छता होती है वहीं माता लक्ष्मी की वास होता है।
◆ दान
दिवाली के मौके पर घर की साफ सफाई के दौरान कई पुराने सामान और कपड़ों को आप घर से बाहर कर देते हैं। जो चीजें आपके काम की न हो या पुरानी हो चुकी हों ,उसे किसी जरूरतमंद को दे सकते हैं। पुराने सामान को बच्चों के हाथों से किसी जरूरतमंद को दिलवाएं। उन्हें दूसरों की मदद करना और दान देना सिखाएं।
◆ परिवार
बच्चों को रामायण की कथा सुनाएं। उन्हें बताएं कि श्रीराम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न के बीच कितना प्रेम था। चारों भाई एक दूसरे के लिए राजपाठ और ऐशो-आराम छोड़ने को तैयार रहते थे। परिवार में इसी तरह की एकता और प्रेम होना चाहिए। बच्चे को परिवार से जुड़े रहने और भाई बहनों का ख्याल रखने की सीख दें।
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