नई दिल्ली: इस साल दिवाली की तारीख को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कई लोग 31 अक्टूबर को दिवाली मनाने की बात कह रहे हैं, जबकि कुछ का मानना है कि इसे 1 नवंबर को मनाना उचित होगा। दिवाली की सही तारीख को लेकर यह भ्रम क्यों उत्पन्न हुआ और आखिरकार दिवाली का पर्व कब मनाया जाएगा, आइए जानते हैं।
क्यों बना है दिवाली की तारीख पर कन्फ्यूजन?
दिवाली के दिन का चयन कार्तिक अमावस्या तिथि पर निर्भर करता है। इस साल अमावस्या तिथि का आरंभ 31 अक्टूबर को दोपहर 3:12 बजे से हो रहा है और यह 1 नवंबर को शाम 6:16 बजे समाप्त होगी। दो दिन तक अमावस्या तिथि का प्रभाव रहने से दिवाली की तारीख को लेकर असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
31 अक्टूबर या 1 नवंबर: किस दिन मनाई जाएगी दिवाली?
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, त्योहारों का निर्धारण उदया तिथि के आधार पर किया जाता है, जो सूर्योदय के समय मानी जाती है। इस सिद्धांत के अनुसार, 1 नवंबर को अमावस्या की उदया तिथि पड़ रही है, इसलिए कुछ लोग इसे दिवाली का सही दिन मान रहे हैं। दूसरी ओर, दिवाली पर प्रदोष काल और निशिता काल (आधी रात) के दौरान लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है, जो इस साल 31 अक्टूबर को हो रहा है।
31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
31 अक्टूबर को शाम 5:36 बजे से लेकर 8:11 बजे तक प्रदोष काल रहेगा। इसी दिन वृषभ लग्न, जो लक्ष्मी पूजन के लिए अत्यंत शुभ माना गया है, शाम 6:25 बजे से 8:20 बजे तक रहेगा। निशीथ काल में पूजा का समय 11:39 बजे से 12:31 बजे तक है, जो तंत्र साधना के लिए भी उपयुक्त माना जाता है। इसलिए, कई पंडितों का सुझाव है कि 31 अक्टूबर को ही दिवाली मनाना अधिक शुभ रहेगा।
क्या करना चाहिए?
अंतिम निर्णय पर पहुँचने के लिए व्यक्तिगत श्रद्धा और स्थानीय परंपराओं का भी ध्यान रखा जा सकता है। दोनों तिथियों के लिए ही मान्यता अनुसार विभिन्न पूजा विधियों का पालन किया जा सकता है।
(Disclaimer: यह खबर परंपराओं और जानकारियों के आधार पर तैयार की गई है। दिवाली की पूजा के समय का निर्धारण करने से पहले किसी ज्योतिषाचार्य से सलाह लेना लाभकारी हो सकता है।)
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