रतन टाटा, भारत के दिग्गज उद्योगपति, का निधन हाल ही में मुंबई के अस्पताल में 86 वर्ष की उम्र में हुआ। उनकी शख्सियत एक साधारण और दयालु इंसान के रूप में रही, जो लोगों के लिए आदर्श और प्रेरणास्रोत थे। वे 1991 से 2012 तक टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहे और इस दौरान उन्होंने कई कीर्तिमान स्थापित किए, जिससे टाटा समूह देश के सबसे पुराने कारोबारी घरानों में से एक बनकर उभरा। उन्होंने टाटा को एक अंतरराष्ट्रीय ब्रांड में तब्दील किया, जो व्यापार जगत में उनकी उत्कृष्टता का प्रमाण है।
रतन टाटा 1962 में सहायक के रूप में टाटा इंडस्ट्रीज में शामिल हुए। उसी वर्ष उन्होंने टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी (अब टाटा मोटर्स) के जमशेदपुर संयंत्र में छह महीने की प्रशिक्षण प्राप्त की। विभिन्न कंपनियों में काम करने के बाद, 1971 में उन्हें नेशनल रेडियो एंड इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी का प्रभारी निदेशक नियुक्त किया गया। 1981 में, उन्होंने टाटा इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला, जहां उन्होंने समूह की रणनीति को दिशा देने और उच्च-प्रौद्योगिकी व्यवसायों में नए उपक्रमों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
रतन टाटा 1991 से 28 दिसंबर, 2012 तक टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के अध्यक्ष रहे। इस अवधि में, वे टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, टाटा पावर, टाटा ग्लोबल बेवरेजेज, टाटा केमिकल्स, इंडियन होटल्स और टाटा टेलीसर्विसेज जैसी प्रमुख कंपनियों के अध्यक्ष भी थे। वे भारत और विदेशों में विभिन्न संगठनों से जुड़े रहे, जिनमें मित्सुबिशी कॉर्पोरेशन और जेपी मॉर्गन चेस के अंतरराष्ट्रीय सलाहकार बोर्ड शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, वे सर रतन टाटा ट्रस्ट और एलाइड ट्रस्ट्स, तथा सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के अध्यक्ष रहे। उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च की प्रबंधन परिषद का भी नेतृत्व किया, और कॉर्नेल विश्वविद्यालय और दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के न्यासी बोर्ड में कार्य किया।
रतन टाटा की उपलब्धियां:
1. टाटा समूह के अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल (1991-2012)।
2. जैगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण (2008)।
3. कोरस का अधिग्रहण (2007)।
4. टाटा स्टील की वैश्विक उपस्थिति बढ़ाना।
5. टाटा मोटर्स की सफलता।
6. टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) की वैश्विक पहुंच का विस्तार।
7. टाटा समूह की वैश्विक ब्रांड वैल्यू में वृद्धि।
रतन टाटा के प्रमुख पुरस्कार और सम्मान:
1. पद्म विभूषण (2008)।
2. पद्म भूषण (2000)।
3. ऑनररी नाइट कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर (2009)।
4. इंटरनेशनल हेरिटेज फाउंडेशन का लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड (2012)।
सबके दिलों में क्यों हैं रत्न टाटा
परोपकार और सामाजिक कार्य
रतन टाटा को उनके परोपकार और समाज सेवा के कार्यों के लिए बहुत सराहा गया है। उनके नेतृत्व में टाटा ट्रस्ट और टाटा फाउंडेशन ने शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, और तकनीकी नवाचारों के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
शिक्षा में योगदान:
रतन टाटा का मानना है कि शिक्षा समाज के विकास की कुंजी है। उन्होंने पूरे देश में स्कूलों और कॉलेजों की स्थापना में सहयोग दिया है, साथ ही कई छात्रवृत्तियों की शुरुआत की है, जिनसे लाखों छात्र लाभान्वित हुए हैं।
स्वास्थ्य सेवा:
टाटा ट्रस्ट्स ने स्वास्थ्य सेवाओं और अस्पतालों में भी महत्वपूर्ण निवेश किया है। उन्होंने कैंसर रिसर्च, एड्स के उपचार, और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को बेहतर बनाने के लिए कई विशेष प्रयास किए हैं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) और भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) जैसे प्रमुख शिक्षण संस्थानों को समर्थन प्रदान किया।
व्यक्तिगत जीवन:
रतन टाटा ताउम्र अविवाहित रहे। उन्होंने चार बार शादी करने का करीब आए, लेकिन विभिन्न कारणों से यह संभव नहीं हो सका। उन्होंने एक बार यह स्वीकार किया कि जब वह लॉस एंजेलेस में कार्यरत थे, तब उन्हें प्यार हुआ था। लेकिन 1962 के भारत-चीन युद्ध के कारण लड़की के माता-पिता ने उसे भारत भेजने का विरोध किया, जिसके बाद उन्होंने शादी नहीं की।
कॉलेज के दिनों में विमान उड़ाने का शौक
रतन टाटा ने अपनी उच्च शिक्षा अमेरिका के कॉर्नेल विश्वविद्यालय से प्राप्त की, जहां उन्होंने आर्किटेक्चर की डिग्री ली। इसी दौरान उन्हें विमान उड़ाने का शौक हुआ। उस समय अमेरिका में फीस देकर विमान उड़ाने की सुविधा देने वाले कई केंद्र खुल चुके थे, और यह उनके लिए एक सुनहरा अवसर था।
हालांकि, समस्या केवल पैसों की थी, क्योंकि उस समय उन्हें इतनी राशि नहीं मिलती थी कि वे फीस चुका सकें। विमान उड़ाने की फीस जुटाने के लिए उन्होंने कई छोटी नौकरियां की, जिसमें रेस्तरां में जूठे बर्तन धोने का काम भी शामिल था।
रतन टाटा की 10 प्रेरणादायक बातें
1. जीवन में आगे बढ़ने के लिए उतार-चढ़ाव आवश्यक हैं; क्योंकि ईसीजी में एक सीधी रेखा का मतलब है कि हम जीवित नहीं हैं।
2. सत्ता और धन मेरे लिए प्राथमिकता नहीं हैं।
3. अगर आप तेज चलना चाहते हैं, तो अकेले चलें; लेकिन अगर दूर तक चलना है, तो साथ में चलें।
4. लोहे को कोई नष्ट नहीं कर सकता, लेकिन उसका खुद का जंग उसे समाप्त कर सकता है। इसी तरह, कोई भी व्यक्ति को नष्ट नहीं कर सकता, लेकिन उसकी अपनी मानसिकता उसे कमजोर कर सकती है।
5. लोग तुम पर जो पत्थर फेंकते हैं, उन्हें उठाकर एक स्मारक बनाने में बदलो।
6. मैं सही निर्णय लेने में विश्वास नहीं करता; मैं निर्णय लेता हूं और फिर उन्हें सही बनाता हूं।
7. जिस दिन मैं उड़ने में असमर्थ होऊंगा, वह मेरे लिए दुखद होगा।
8. आखिरकार, हमें केवल उन अवसरों का पछतावा होता है जिन्हें हमने नहीं भुनाया। हर छोटा अवसर आपको बड़ा बना सकता है।
9. सबसे बड़ी विफलता प्रयास न करना है।
10. मैं चीजों को भाग्य पर नहीं छोड़ता; मैं कड़ी मेहनत और तैयारी में विश्वास रखता हूं।
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