बिजनेस के लिए छोड़ी माइक्रोसॉफ्ट की नौकरी, आज बन चुकें हैं हजारों करोड़ की कंपनी के मालिक, पढ़ें पियूष बंसल की Success Story


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नई दिल्ली: कहते हैं सफलता पाने के लिए कई बार रिस्क लेना पड़ता है। रिस्क लेने वाले ही इतिहास रचते हैं। लेंसकार्ट कंपनी के फाउंडर पीयूष बंसल ने ऐसा ही रिस्क लिया और आज वह सफलता का स्वाद चख रहे हैं। पीयूष बंसल (Peyush Bansal) ने बिजनेस करने के लिए अपनी माइक्रोसॉफ्ट की अच्छी खासी नौकरी को छोड़ दिया था। आज उनकी कंपनी लेंसकार्ट चश्मा बनाने वाली कंपनियों के बीच एक बड़ा नाम बन गई है। आज पीयूष अपने इसी बिजनेस से करोड़ों की कमाई कर रहे हैं। पीयूष शार्क टैंक इंडिया में बतौर जज भी काफी सुर्खियां बटोर चुके हैं। साल 2010 में बनी यह कंपनी आज अरबों रुपये की हो चुकी है। पीयूष ने अपने मिशन और विजन से कंपनी को इतनी सफलता दिलाई है। हालांकि यह सफर इतना आसान नहीं था। पीयूष को कई बार मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा। आईए आपको बताते हैं पीयूष बंसल ने इतनी सफलता कैसे हासिल की।

अच्छे पैकेज वाली नौकरी छोड़ी

पीयूष साल 2007 तक यूएस में माइक्रोसॉफ्ट कंपनी में एक अच्छे पैकेज की नौकरी कर रहे थे। बढ़िया सैलेरी के बावजूद पीयूष कुछ अलग करना चाहते थे। 2007 में पीयूष ने तय किया कि वे अब अपने देश जाकर सपनों को पूरा करेंगे। माइक्रोसॉफ्ट में एक साल से भी कम समय तक काम करने के बाद पीयूष बंसल ने अपनी नौकरी छोड़ दी। उनके इस फैसले से परिवार और दोस्त हैरान थे, काफी समझाने के बाद भी वे नहीं माने और भारत लौट आए। यहां बाजार को समझने के लिए उन्होंने एक क्लासिफाइड वेबसाइट सर्च माइ कैंपस शुरू की। यहां छात्रों को किताबें, पार्ट टाइम जॉब और कारपुल जैसी चीजें ढूंढने में मदद की जाती थी। तीन साल तक पीयूष इस प्रोजेक्ट पर काम करते रहे। इसके जरिए इंडियन कस्टमर का बिहेवियर और रिक्वायरमेंट रीड करते रहे।

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इस तरह हुई लेंसकार्ट की शुरुआत

तीन साल तक कस्टमर की जरूरतों को समझने के बाद पीयूष बंसल ने चाल अलग-अलग वेबसाइट्स लॉन्च की। इनमें से एक आईवियर थी। वहीं बाकी तीन कंपनियां यूथ को टारगेट करते हुए ज्वेलरी, घड़ी और बैग्स की थी। रिस्पांस को देखते हुए उन्होंने आईवियर पर फोकस किया औ यहीं से लेंसकार्ट की शुरुआत हुई। पीयूष बंसल ने आईवियर पर अपना पूरा ध्यान लगाते हुए देश के छोटे बड़े शहरों में आउटलेट्स खोलने शुरू किए, जहां हर रेंज के चश्मों के साथ आंखों के चेकअप की सुविधा भी दी जाने लगी। साथ ही इन चश्मों को ऑनलाइन मार्केट में बेचना शुरू किया गया।

पीयूष के इस यूनिक कॉन्सेप्ट को देखते हुए इन्हें कई इंवेस्टर्स मिले। धीरे-धीरे उनकी कंपनी सफलता की ओर आगे बढ़ने लगी। साल 2019 में लेंसकार्ट 1.5 अरब डॉलर की वैल्युएशन के साथ एक यूनिकॉर्न बन गई थी। आज पीयूष इस कंपनी से करोड़ों रुपयों की कमाई कर रहे हैं।

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