झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने बड़ा कदम उठाते हुए प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की है। उन्होंने अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए केंद्रीय नेतृत्व को यह संदेश भेजा। हालांकि, केंद्रीय नेतृत्व ने अभी इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है।
भाजपा की सीटें घटी, एनडीए का प्रदर्शन कमजोर
हालिया चुनाव परिणामों में भाजपा को केवल 21 सीटों पर सफलता मिली, जबकि एनडीए गठबंधन कुल 24 सीटें ही जुटा सका। 2019 के चुनाव में भाजपा ने 25 सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार प्रदर्शन में गिरावट दर्ज हुई।
मरांडी का बांग्लादेशी घुसपैठ पर कड़ा रुख
बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बांग्लादेशी घुसपैठ को झारखंड की आदिवासी संस्कृति और सभ्यता पर बड़ा खतरा बताया। उन्होंने लिखा, “चुनाव परिणाम चाहे जो भी हो, मेरी प्राथमिकता अपने लोगों को जागरूक और सशक्त करना है। हमारी जल, जंगल और जमीन की सुरक्षा के लिए मैं पूरी ताकत से काम करूंगा।”
चाईबासा में हिंसा और हेमंत सोरेन की मुश्किलें बढ़ीं
दूसरी ओर, झारखंड के चाईबासा जिले में दो लोगों की हत्या की घटना ने राज्य में कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस ने PLFI उग्रवादियों पर शक जताया है। वहीं, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 4 दिसंबर को कोर्ट में पेश होने का निर्देश मिला है, जिससे उनकी राजनीतिक चुनौतियां बढ़ सकती हैं।
चुनाव परिणाम का असर और भाजपा का भविष्य
चुनाव के नतीजों ने भाजपा को आत्ममंथन के लिए मजबूर कर दिया है। सरायकेला से नवनिर्वाचित विधायक चंपई सोरेन ने भी बांग्लादेशी घुसपैठ को बड़ा मुद्दा बताते हुए इसके खिलाफ अभियान जारी रखने का संकल्प लिया।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भाजपा अपने संगठनात्मक ढांचे और रणनीतियों में क्या बदलाव करती है और बाबूलाल मरांडी के इस्तीफे पर केंद्रीय नेतृत्व का क्या फैसला होता है।
हमारा उद्देश्य जनता को विश्वसनीय और तथ्यात्मक जानकारी प्रदान करना है, जिससे वे सूचित और सशक्त हो सकें।
“खबरें, जो आपकी आवाज़ बनें”