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क्या गर्भवती महिलाएं छठ का कठिन 36 घंटे का निर्जला व्रत रख सकती हैं? जानें मां और बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव... - Giridih Views
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क्या गर्भवती महिलाएं छठ का कठिन 36 घंटे का निर्जला व्रत रख सकती हैं? जानें मां और बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव…

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छठ पर्व की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता के प्रति लोगों की आस्था अटूट है। खासतौर पर उत्तर भारत में श्रद्धालु महिलाओं के लिए यह व्रत न केवल आस्था का प्रतीक है बल्कि शक्ति और समर्पण का भी प्रतीक बन चुका है। छठ व्रत को लेकर महिलाओं की भागीदारी और समर्पण देखने लायक होता है, क्योंकि इस व्रत में कठिन उपवास और ठंडे पानी में खड़े रहकर व्रत करने की परंपरा है। लेकिन गर्भवती महिलाओं के लिए यह व्रत कितना सुरक्षित है? आइए जानते हैं।

क्या प्रेगनेंसी में छठ व्रत करना सुरक्षित है?

गर्भावस्था के दौरान कई महिलाएं यह सवाल करती हैं कि क्या वे भी छठ व्रत रख सकती हैं? हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि गर्भावस्था के दौरान निर्जला उपवास रखना स्वास्थ्य के लिए जोखिमपूर्ण हो सकता है। छठ व्रत में 36 घंटे तक बिना भोजन और पानी के रहने की परंपरा है, जो गर्भवती महिलाओं के लिए कठिन हो सकता है। इस व्रत का पालन करते हुए गर्भवती महिलाओं को खुद की और गर्भस्थ शिशु की सेहत का विशेष ध्यान रखना होता है।

पहली तिमाही में व्रत से क्यों बचना चाहिए?

गर्भावस्था की पहली तिमाही (फर्स्ट ट्राइमेस्टर) के दौरान महिला के शरीर में कई तरह के शारीरिक और हार्मोनल बदलाव होते हैं। इस दौरान मतली, उल्टी, थकावट और चक्कर आने जैसी समस्याएं सामान्य हैं। ऐसे में यदि गर्भवती महिला व्रत रखती है तो ये लक्षण और भी गंभीर हो सकते हैं, जिससे मां और शिशु दोनों को नुकसान होने की आशंका रहती है।

तीसरी तिमाही में व्रत रखना क्यों खतरनाक हो सकता है?

गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में भी व्रत रखना सुरक्षित नहीं माना जाता है, क्योंकि इस समय महिला के शरीर को अधिक ऊर्जा और पोषण की जरूरत होती है। बिना भोजन और पानी के रहने से कमजोरी, चक्कर आना, और गिरने जैसी घटनाएं हो सकती हैं। इसके अलावा, जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज, एनीमिया या गर्भ में एक से अधिक शिशु हैं, उन्हें तो विशेष रूप से व्रत से बचना चाहिए।

छठ व्रत में स्वास्थ्य के खतरे..

1. डिहाइड्रेशन का खतरा: छठ व्रत के दौरान 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखने से गर्भवती महिला के शरीर में पानी की कमी हो सकती है, जिससे डिहाइड्रेशन हो सकता है। डिहाइड्रेशन मां और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है।

2. कमजोरी और लो एनर्जी: गर्भवती महिलाओं को अतिरिक्त ऊर्जा और पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। लंबा उपवास रखने से थकावट और कमजोरी बढ़ सकती है, जिससे महिला के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

व्रत रखते समय क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

यदि गर्भवती महिला का स्वास्थ्य सामान्य है और कोई चिकित्सीय समस्या नहीं है, तो वह विशेषज्ञ की सलाह से छठ व्रत रख सकती हैं। इसके लिए, वह पानी और कुछ पौष्टिक फलों का सेवन करके व्रत रख सकती हैं। इससे मां और शिशु को आवश्यक पोषण और ऊर्जा मिलती रहेगी और दोनों सुरक्षित भी रहेंगे।

 

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. गिरिडीह व्यूज इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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Published by
Abhimanyu Kumar

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