लोक आस्था का पर्व छठ आज 5 नवंबर को नहाय-खाय के साथ प्रारंभ हो गया है। इस पर्व का विशेष महत्व सूर्य उपासना और शुद्धता से जुड़ा हुआ है, जिसे विशेष रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व व्रति और उनके परिवार के लिए सात्विकता और अनुशासन की एक प्रेरणा का प्रतीक है।
चार दिवसीय छठ महापर्व की तिथि और आयोजन
छठ पूजा का शुभारंभ 5 नवंबर को नहाय-खाय के साथ हुआ है, जिसमें पूरे घर की सफाई के बाद व्रति स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं। इस दिन कद्दू, चने की दाल, अरवा चावल और सात्विक भोजन का सेवन किया जाता है। नहाय-खाय के दिन विशेष ध्यान रखा जाता है कि भोजन में लहसुन और प्याज का प्रयोग न हो। व्रति के भोजन के पश्चात ही परिवार के अन्य सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं।
छठ महापर्व के चार दिन इस प्रकार हैं:
1. पहला दिन (5 नवंबर 2024): नहाय-खाय
2. दूसरा दिन (6 नवंबर 2024): खरना
3. तीसरा दिन (7 नवंबर 2024): संध्या अर्घ्य
4. चौथा दिन (8 नवंबर 2024): उषा अर्घ्य और पारण
नहाय-खाय का महत्व
नहाय-खाय से प्रारंभ होने वाले इस महापर्व में व्रति शुद्धता, आत्मसंयम और सात्विकता का पालन करते हैं। इस दिन भगवान सूर्य को भोग अर्पित कर ही भोजन ग्रहण किया जाता है। छठ का व्रत न सिर्फ व्रति बल्कि उनके परिवार के सभी सदस्यों के लिए एक आध्यात्मिक तपस्या है। इस दिन से प्रारंभ होकर खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य तक व्रति भगवान सूर्य की आराधना और उनके प्रति आभार व्यक्त करते हैं।
सूर्योपासना और लोक आस्था का संगम
छठ महापर्व भारतीय संस्कृति में सूर्योपासना के प्रति अटूट आस्था का पर्व है। सूर्य देव की उपासना से स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख की कामना की जाती है। व्रतधारी भक्त चार दिन तक कठोर नियमों का पालन करते हुए यह पर्व मनाते हैं, जो अनुशासन और श्रद्धा का प्रतीक है।
छठ महापर्व की समाप्ति 8 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर व्रति पारण करेंगी, जिसके साथ इस महापर्व का समापन होगा।
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