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उत्कृष्ट शैक्षिक पृष्ठभूमि
अलका तिवारी ने मेरठ विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की, जहां वह टॉपर रहीं और उन्हें राज्यपाल का स्वर्ण पदक मिला। इसके अलावा, उन्होंने मैनचेस्टर विश्वविद्यालय, यूके से “विकास परियोजनाओं के प्रबंधन और कार्यान्वयन” में एम.एससी. किया और वहां भी स्वर्ण पदक हासिल किया। तिवारी ने रांची विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक किया है और हार्वर्ड विश्वविद्यालय, यूएसए से “रीथिंकिंग फाइनेंशियल इंक्लूजन” व ड्यूक विश्वविद्यालय से “वित्तीय सलाहकारों के लिए सार्वजनिक राजकोषीय प्रबंधन” जैसे विशेष कोर्स भी किए हैं।
प्रशासनिक अनुभव में गहरी पकड़
अलका तिवारी ने अपने करियर में झारखंड के गुमला और लोहरदगा जिलों में उपायुक्त/कलेक्टर के रूप में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। राज्य में वह वाणिज्यिक कर, वन और पर्यावरण विभाग में सचिव के रूप में कार्यरत रही हैं। केंद्र में, उन्होंने नीति आयोग में सलाहकार, उर्वरक विभाग में संयुक्त सचिव और अतिरिक्त सचिव के रूप में भी अपनी सेवाएं दी हैं। नीति आयोग में उन्होंने शिक्षा, वित्तीय संसाधन और पर्यटन के क्षेत्र में अहम योगदान दिया है और भारत के उच्च शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने में प्रमुख भूमिका निभाई है।
औद्योगिक और अंतरराष्ट्रीय अनुभव
FAGMIL की सीएमडी के रूप में अलका तिवारी ने जिप्सम व्यापार में सुधार लाने का काम किया और इसे लाभदायक व्यवसाय में बदल दिया। इसके अलावा, उन्होंने यूरिया की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कतर, ईरान और रूस के साथ भारत की महत्वपूर्ण वार्ताएं कीं। उन्होंने भारत-रूस अंतर सरकारी आयोग में आर्थिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग पर महत्वपूर्ण प्रोटोकॉल समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
आदिवासी मामलों में गहरी विशेषज्ञता
अलका तिवारी ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में सचिव के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहाँ उन्होंने आदिवासी मामलों की बारीक समझ और उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए कार्य किया। उनके पति, डॉ. डीके तिवारी, 1986 बैच के आईएएस अधिकारी हैं, जो झारखंड के मुख्य सचिव के रूप में सेवा में रहे हैं और वर्तमान में राज्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में कार्यरत हैं।
मैं अभिमन्यु कुमार पिछले चार वर्षों से गिरिडीह व्यूज में बतौर “चीफ एडिटर” के रूप में कार्यरत हुं,आप मुझे नीचे दिए गए सोशल मीडिया के द्वारा संपर्क कर सकते हैं।
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