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action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u752473233/domains/giridihviews.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6114आजकल बच्चे स्मार्टफोन और सोशल मीडिया की दुनिया में इतना खो गए हैं कि उनकी मानसिक सेहत खतरे में पड़ रही है। जहां 2-3 साल का बच्चा यूट्यूब पर वीडियो देखना शुरू कर देता है, वहीं 10-15 साल की उम्र में सोशल मीडिया का हिस्सा बन जाता है। रिसर्च और विशेषज्ञों की मानें तो यह आदत बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल रही है।
स्मार्टफोन का कम उम्र में इस्तेमाल
• सैपियन लैब्स की ग्लोबल रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, छोटी उम्र में स्मार्टफोन के संपर्क में आने वाले बच्चों की मानसिक सेहत पर लंबे समय तक खराब असर पड़ता है।
• 6 साल की उम्र में स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वाली बच्चियों में 76% मामलों में मानसिक समस्याएं देखी गई हैं।
• यह समस्या उम्र के साथ बढ़ती जाती है और बच्चों के व्यवहार को प्रभावित करती है।
सोशल मीडिया और डिप्रेशन का बढ़ता खतरा…
• 2019 में अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन की एक स्टडी ने यह साबित किया कि जो बच्चे तीन घंटे से ज्यादा समय सोशल मीडिया पर बिताते हैं, उनमें डिप्रेशन और एंग्जाइटी जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं।
• प्यू रिसर्च सेंटर के मुताबिक, 2021 में 84% सोशल मीडिया यूजर्स की उम्र 18-29 साल के बीच थी।
• विशेषज्ञ इसे शराब और सिगरेट की लत के समान मानते हैं, जिसे छोड़ना बेहद कठिन है।
नींद और खानपान पर असर
• सोशल मीडिया बच्चों की नींद और खानपान पर भी बुरा असर डाल रहा है।
• स्क्रीन पर लंबे समय तक समय बिताने से बच्चों की नींद कम हो रही है, जिससे उनका दिमाग सुस्त हो रहा है।
• अनियमित खानपान के चलते बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास बाधित हो रहा है।
ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों का कदम…
• ऑस्ट्रेलिया ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया बैन करने की योजना बनाई है।
• प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने गुरुवार को इसका ऐलान किया।
• इससे पहले भी कई देश बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर पाबंदी लगा चुके हैं।
क्या हो सकते हैं समाधान?
• पैरेंटल कंट्रोल: माता-पिता को बच्चों की स्क्रीन टाइम पर निगरानी रखनी चाहिए।
• आउटडोर एक्टिविटीज: बच्चों को आउटडोर गेम्स और अन्य क्रिएटिव गतिविधियों में शामिल करना चाहिए।
• डिजिटल डिटॉक्स: हफ्ते में एक दिन डिजिटल डिटॉक्स को प्रोत्साहित करें।
• शिक्षा और जागरूकता: बच्चों को सोशल मीडिया के खतरों के बारे में समझाएं और उन्हें संतुलित उपयोग सिखाएं।
स्मार्टफोन और सोशल मीडिया ने जहां दुनिया को जोड़ा है, वहीं बच्चों की मानसिक और शारीरिक सेहत पर इसका बुरा असर पड़ रहा है। यह समय है कि माता-पिता, स्कूल और समाज मिलकर बच्चों को एक स्वस्थ और डिजिटल रूप से संतुलित जीवन जीने के लिए प्रेरित करें।
मैं अभिमन्यु कुमार पिछले चार वर्षों से गिरिडीह व्यूज में बतौर “चीफ एडिटर” के रूप में कार्यरत हुं,आप मुझे नीचे दिए गए सोशल मीडिया के द्वारा संपर्क कर सकते हैं।
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