गिरिडीह: समाजसेवी धरणीधर प्रसाद और उसरी महोत्सव आयोजन समिति के आलोक मिश्रा के नेतृत्व में उसरी महोत्सव की कोर कमिटी और पूर्व वार्ड पार्षद संगीता सिन्हा ने उसरी नदी का दौरा कर महोत्सव स्थल का चयन किया। यह महोत्सव गिरिडीह के इतिहास में पहली बार आयोजित किया जा रहा है, जो शास्त्री नगर छठ घाट पर 17 से 19 जनवरी तक होगा जिसका उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण और जागरूकता को बढ़ावा देना है।
महोत्सव में होंगे सांस्कृतिक और पर्यावरणीय कार्यक्रम
मीडिया से बातचीत में आयोजन समिति ने बताया कि महोत्सव के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम, नदी में खेल-कूद, तैराकी प्रतियोगिता, पेंटिंग और भाषण प्रतियोगिता जैसे आयोजन होंगे। इसके साथ ही गायन और नाटक के जरिए क्षेत्र की संस्कृति को संरक्षित करने के प्रयास किए जाएंगे। आम और खास से इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सहयोग की अपील की गई है।
उसरी बचाव अभियान को मिलेगी गति
कार्यक्रम के संयोजक राजेश सिन्हा ने बताया कि पिछले एक दशक से उसरी बचाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, जो अब सकारात्मक परिणाम देने लगे हैं। उन्होंने कहा कि पर्यटन मंत्री सुदिव्य सोनू के प्रयासों से नदी में गंदे नाले का प्रवाह रोकने और छिलका डेम के निर्माण का प्लान तैयार किया जा रहा है। इस अभियान में सीसीएल जीएम बासब चौधरी का भी अहम योगदान रहा है।
जनसहयोग से होगा महोत्सव सफल
सभी राजनीतिक, सामाजिक और शैक्षणिक संगठनों को महोत्सव में शामिल होने का आमंत्रण दिया गया है। स्कूल-कॉलेज के प्राचार्यों और संचालकों को भी आमंत्रित किया जाएगा। बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले और कई स्टॉल लगाए जाएंगे। आयोजन स्थल पर पर्यावरण संरक्षण के तहत पेड़ लगाने की योजना भी बनाई गई है। अब तक हजारों पेड़ लगाए और बांटे जा चुके हैं।
जल स्रोतों के संरक्षण पर भी जोर
सामाजिक कार्यकर्ताओं रंजय बरदियार, विकास सिन्हा, स्वाति सिन्हा, और नौशाद आलम ने बताया कि महोत्सव के बाद अन्य जल स्रोतों, तालाबों, और कुओं को संरक्षित करने के लिए भी अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने जनसहयोग और आर्थिक मदद की अपील की है।
तैयारियों में जुटे कई सामाजिक कार्यकर्ता
विनय सिंह, समीर राज चौधरी, सूरज नयन, दीपक श्रीवास्तव समेत दर्जनों सामाजिक कार्यकर्ता और उसरी बचाव अभियान के सदस्य जोर-शोर से महोत्सव की तैयारियों में जुटे हैं। इस अवसर पर गुफरान अंसारी, मजहर अंसारी, अकरम, सुमित राय, और अजय श्रीवास्तव भी उपस्थित थे।
यह महोत्सव गिरिडीह में पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक एकजुटता के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल साबित होगा।
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