शैक्षणिक सत्र 2026-27 से बड़ा बदलाव: CBSE समेत अन्य बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार, छात्रों पर कम होगा बोझ

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भारत के शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ा सुधार होने जा रहा है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 8 जनवरी को घोषणा की कि शैक्षणिक सत्र 2026-27 से सीबीएसई और अन्य बोर्ड की परीक्षाओं का आयोजन साल में दो बार किया जाएगा। इसके साथ ही, राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों के तहत कक्षा 11वीं और 12वीं में सेमेस्टर प्रणाली लागू करने की तैयारी हो रही है। यह कदम छात्रों के लिए एक राहत और बेहतर अवसर प्रदान करेगा।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के अनुसार, साल में दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित करने का निर्णय शिक्षा क्षेत्र में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इसका मकसद परीक्षा प्रणाली में लचीलापन लाना और छात्रों को बेहतर तैयारी के अवसर प्रदान करना है। उन्होंने बताया कि बोर्ड परीक्षाएं जेईई मेन की तर्ज पर होंगी, जहां छात्रों को दो प्रयास करने का अवसर मिलेगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पहली परीक्षा फरवरी में और दूसरी अप्रैल में आयोजित हो सकती है।

सेमेस्टर प्रणाली की तैयारी:

शिक्षा मंत्रालय कक्षा 11वीं और 12वीं में सेमेस्टर प्रणाली लागू करने की भी योजना बना रहा है। सेमेस्टर सिस्टम से छात्रों को धीरे-धीरे पाठ्यक्रम का अध्ययन करने का मौका मिलेगा और पूरे साल के सिलेबस का एक साथ बोझ नहीं उठाना पड़ेगा।

इस नई व्यवस्था से छात्रों को कई लाभ होंगे।

1. दो प्रयास का विकल्प:

छात्रों को एक साल में दो बार बोर्ड परीक्षा देने का मौका मिलेगा। यदि किसी छात्र का प्रदर्शन पहले प्रयास में बेहतर नहीं रहता है, तो वह दूसरे प्रयास में इसे सुधार सकता है।

2. कम होगा तनाव:

दो बार परीक्षा होने से छात्रों पर परीक्षा का तनाव कम होगा। अगर किसी छात्र की तैयारी पहले सत्र में पूरी नहीं हो पाती है, तो वह दूसरे सत्र में बेहतर तैयारी के साथ परीक्षा दे सकेगा।

3. बेहतर प्रदर्शन का मिलेगा मौका:

छात्र दोनों परीक्षाओं में शामिल हो सकते हैं, और जिस परीक्षा में उनका प्रदर्शन बेहतर होगा, उसे अंतिम स्कोर के रूप में मान्यता दी जाएगी। इससे छात्रों की सफलता की संभावना बढ़ेगी।

विशेषज्ञों की राय:

शिक्षाविदों का मानना है कि यह कदम छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और उनके शैक्षणिक विकास के लिए एक सकारात्मक बदलाव होगा। इससे न केवल छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि वे बिना किसी दबाव के परीक्षा दे सकेंगे। साथ ही, इससे शिक्षा प्रणाली में प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी।