डिजिटल युग में डेटा की सुरक्षा सबसे अहम मुद्दा बन गया है। खासकर बच्चों और किशोरों के लिए, जो आज सोशल मीडिया पर तेजी से सक्रिय हो रहे हैं। ऐसे में सरकार ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन ऐक्ट, 2023 (DPDP) के नियमों को लेकर बड़ा कदम उठाया है। प्रस्तावित मसौदे के अनुसार, अब 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाने के लिए माता-पिता की सहमति अनिवार्य होगी।
कब बना यह कानून?
यह कानून अगस्त 2023 में संसद से पास हुआ था।
अभी क्यों चर्चा में है?
सरकार ने इस कानून के मसौदा नियमों को तैयार कर लिया है और 18 फरवरी तक आम जनता व अन्य स्टेकहोल्डर्स से सुझाव मांगे हैं।
मसौदे के प्रमुख प्रावधान:
1. कौन माना जाएगा बच्चा?
18 वर्ष से कम आयु के यूजर्स को बच्चे की श्रेणी में रखा गया है।
2. माता-पिता की सहमति अनिवार्य:
• सोशल मीडिया अकाउंट खोलने के लिए बच्चों को अपने माता-पिता की सहमति की आवश्यकता होगी।
• सहमति देने वाले व्यक्ति की पहचान के लिए सरकारी पहचान पत्र या डिजिटल लॉकर से सत्यापन होगा।
• प्लेटफॉर्म पर माता-पिता और बच्चे के संबंध की भी पुष्टि होगी।
3. डेटा फिड्यूशियरीज की श्रेणियां:
डेटा का प्रबंधन करने वाली कंपनियों को तीन श्रेणियों में बांटा जाएगा:
• ई-कॉमर्स कंपनियां
• ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म
• सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म
4. डेटा सुरक्षा:
• प्रस्तावित नियमों में बच्चों और दिव्यांग व्यक्तियों के डेटा की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है।
• शैक्षणिक संस्थानों और बाल कल्याण संगठनों को कुछ नियमों से छूट दी जा सकती है।
• उपभोक्ताओं को अपने डेटा को हटाने और डेटा के उपयोग की जानकारी मांगने का अधिकार मिलेगा।
5. डेटा ब्रीच पर सख्त नियम:
यदि किसी कंपनी के डेटा में सेंध लगती है, तो उसे बिना देरी किए प्रभावित यूजर्स को सूचित करना होगा। इसके लिए कंपनी को सरल भाषा में ब्रीच का विवरण, संभावित प्रभाव और उठाए जा रहे कदमों की जानकारी देनी होगी।
6. जुर्माने का प्रावधान:
नियमों के उल्लंघन पर कंपनियों पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
सुझाव देने की प्रक्रिया:
सुझाव देने की अंतिम तिथि 18 फरवरी है। इच्छुक व्यक्ति और संस्थाएं MyGov.in वेबसाइट पर जाकर अपने सुझाव दे सकते हैं।
निगरानी के लिए डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड:
सरकार ने इन नियमों के पालन की निगरानी के लिए डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड बनाने का भी प्रस्ताव दिया है। यह बोर्ड डिजिटल तरीके से काम करेगा और उल्लंघन की स्थिति में दंड लगाने का अधिकार रखेगा।
सरकार का यह कदम डिजिटल दुनिया में बच्चों की सुरक्षा को लेकर एक बड़ा बदलाव ला सकता है। हालांकि, इसके लागू होने के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और कंपनियां इन नियमों का पालन किस हद तक करती हैं।
मैं अभिमन्यु कुमार पिछले चार वर्षों से गिरिडीह व्यूज में बतौर “चीफ एडिटर” के रूप में कार्यरत हुं,आप मुझे नीचे दिए गए सोशल मीडिया के द्वारा संपर्क कर सकते हैं।
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