300 रुपये में मिल सकता है घरेलू गैस सिलेंडर, ग्राहक दक्षता कल्याण फाउंडेशन का दावा

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गिरिडीह:  ग्राहक दक्षता कल्याण फाउंडेशन ने प्रेस वार्ता कर दावा किया कि 60% घरेलू गैस सिलेंडर का व्यावसायिक उपयोग हो रहा है, जिससे सरकार को 13% जीएसटी का नुकसान हो रहा है और ब्लास्ट जैसी दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ रहा है।

फाउंडेशन के ईस्ट इंडिया परियोजना प्रमुख रामेश्वर लश्करे ने बताया कि घरेलू गैस सिलेंडर, जो कि सुरक्षित और गैर-प्रदूषणकारी ईंधन है, उसका 60% तक अवैध उपयोग हो रहा है। 14.2 किलो वाले सिलेंडरों का 35% हिस्सा व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि 16 किलो या अन्य कमर्शियल सिलेंडरों में 25% सिलेंडर बिना वैध बिल के खतरनाक तरीके से प्रयोग किए जा रहे हैं।

एलपीजी वाहनों में घरेलू सिलेंडरों का इस्तेमाल खतरनाक

लश्करे ने बताया कि घरेलू सिलेंडरों का प्रयोग ऑटो एलपीजी वाहनों में भी किया जा रहा है, जिससे बड़े हादसे हो सकते हैं। ऑटो एलपीजी पंपों से सिर्फ 30% अधिकृत एलपीजी की बिक्री हो रही है, जबकि 70% वाहन चालक इलेक्ट्रिक मोटर पंप से घरेलू सिलेंडर में गैस भर रहे हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि सीधे टैंकरों से गैस लेकर 15% सिलेंडरों में भरा जा रहा है, जो कि बेहद खतरनाक है। पिछले 10 वर्षों में इससे राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर 6-7 बड़ी दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें 65 लोगों की जान जा चुकी है।

उज्ज्वला लाभार्थी नहीं ले पा रहे पूरा कोटा, हो रही कालाबाजारी

फाउंडेशन के अनुसार, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत 2014 से अब तक 6.58 करोड़ लोगों को रियायती दरों पर सिलेंडर दिए गए, लेकिन उज्ज्वला लाभार्थी पूरे 12 सिलेंडर नहीं ले पा रहे हैं। इसका फायदा वितरक उठा रहे हैं और सिलेंडरों की कालाबाजारी कर रहे हैं।

सरकार को करोड़ों का नुकसान, क्यूआर कोड ट्रैकिंग की मांग

रामेश्वर लश्करे ने कहा कि घरेलू सिलेंडर पर सरकार सिर्फ 5% जीएसटी लगाती है, जबकि कमर्शियल सिलेंडर और ऑटो एलपीजी पर 18% जीएसटी लिया जाता है। इससे सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है।

उन्होंने प्रशासन से घरेलू गैस सिलेंडरों में क्यूआर कोड ट्रैकिंग की मांग की ताकि अवैध इस्तेमाल पर रोक लगाई जा सके। फाउंडेशन का कहना है कि इससे जीएसटी राजस्व में भी वृद्धि होगी और दुर्घटनाओं को टाला जा सकेगा।

प्रेस वार्ता में ग्राहक दक्षता कल्याण फाउंडेशन के ईस्ट इंडिया परियोजना प्रमुख रामेश्वर लश्करे और झारखंड राज्य जनसंपर्क अधिकारी मोशाहिद आदिब उपस्थित थे।

रिर्पोट राजदीप आर्यन 

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