गिरिडीह कला संगम के तत्वावधान में स्व. जे पी कुशवाहा 24 वां अखिल भारतीय बहुभाषी नाटक एवं स्व. उमा रानी ताह स्मृति लोकनृत्य, शास्त्रीय नृत्य प्रतियोगिता की शुरुआत गुरुवार को मुख्य अतिथि गिरिडीह उपायुक्त सह कला संगम के मुख्य संरक्षक नमन प्रियेश लकड़ा, विशिष्ट अतिथि सदर अनुमंडल पदाधिकारी सह संरक्षक श्रीकांत यशवंत विसपुते व जिला जनसंपर्क पदाधिकारी अंजना भारती ने दीप प्रज्ज्वलित कर की। साथ में संरक्षक राजेंद्र बगडिया, अजय सिन्हा मंटू, अध्यक्ष प्रकाश सहाय, कार्यकारी अध्यक्ष पंकज ताह, सचिव सतीश कुंदन, उपाध्यक्ष अंजनी सिन्हा, कृष्णा सिन्हा, सह सचिव शिवेंद्र सिन्हा, सुजय गुप्ता, लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार राज, कोषाध्यक्ष विनय बख्शी थे।
दीप प्रज्ज्वलन के बाद स्व. जे पी कुशवाहा एवं स्व. उमा रानी ताह की तस्वीर पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।
मौके पर उपायुक्त श्री लकड़ा ने कहा कि कला संगम द्वारा देशभर के कलाकारों की कला का यहां प्रदर्शन कराना बहुत ही प्रशंसनीय है। गिरिडीह में कला भवन बनाने के लिए कला एवं संस्कृति मंत्री से बात की जाएगी।
सदर अनुमंडल पदाधिकारी श्री विसपुते ने कला पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि मानव अधिकारों के साथ जीना चाहता है, कला और संस्कृति के साथ जीना चाहता है। दो इंसानों के बीच इमोशनल रिलेशंस मानव बनाता है और मानव बनने तक पहुंचने के लिए कला का बहुत बड़ा योगदान होता है।
जिला जनसंपर्क पदाधिकारी श्रीमती भारती ने कहा कि विभिन्न राज्यों की कला संस्कृति का इस मंच पर प्रदर्शन होना प्रशंसनीय है।
अध्यक्षीय भाषण अध्यक्ष प्रकाश सहाय ने दिया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन कार्यकारी अध्यक्ष पंकज ताह ने किया। मंच संचालन सचिव सतीश कुंदन, सह संयोजक राजेश सिन्हा व मनोज कुमार मुन्ना ने किया। मौके पर प्रतियोगिता के निर्णायक बिहार के अशोक मानव, त्रिपुरा के सिवानी गोस्वामी, जमशेदपुर के मो. निजाम, शिवलाल सागर, धनबाद के वशिष्ठ प्रसाद सिन्हा, साहित्य प्रमुख प्रो. अनुज कुमार, संगीत प्रमुख ओरित चंद्रा, मीडिया प्रभारी सुनील मंथन शर्मा, बिनोद शर्मा, नाट्य प्रमुख नीतीश आनंद, नृत्य प्रभारी दिव्या सहाय, शीलधर प्रसाद, रवीश आनंद, शुभम, सुमित, आकाश, विकास, सिद्धांत, सौरभ सहित सैकड़ों कला प्रेमी मौजूद थे।
नाटक, शास्त्रीय व लोक नृत्य की धूम
सबसे पहले कला संगम की छात्राएं संस्कृति, अंशिका व अनुष्का ने शास्त्रीय नृत्य, हुनर संस्थान आजमगढ़ ने गणेश वंदना, शिवानी गोस्वामी ने शास्त्रीय नृत्य, वीणापानी कला केंद्र ने राजस्थानी लोक नृत्य, महाश्वेता कला केंद्र की नमिता महतो, सांगप्रिया सरकार, अनेशा मंडल ने सेमी क्लासिकल नृत्य प्रस्तुत कर धूम मचा दी। उसके बाद नाटक पतझड़ के बाद, बीआईटीजी दिल्ली, राक्षस, बंगाल, रंग नगरी, जिने लाहौर ना देख्या वो जन्मया नहीं का मंचन हुआ।
22 को निकलेगी रंगयात्रा
प्रतियोगिता में 10 राज्यों के लगभग 400 कलाकार भाग ले रहे हैं। 18 नाटकों का मंचन होगा। 22 मार्च को रंगयात्रा निकाली जाएगी। शाम को स्व. दिगंबर प्रसाद स्मृति राष्ट्रीय सम्मान समारोह होगा।

मैं अभिमन्यु कुमार पिछले चार वर्षों से गिरिडीह व्यूज में बतौर “चीफ एडिटर” के रूप में कार्यरत हुं,आप मुझे नीचे दिए गए सोशल मीडिया के द्वारा संपर्क कर सकते हैं।