गिरिडीह के सरकारी स्कूलों की बदहाली: शिक्षकों की कमी, जर्जर भवन और बुनियादी सुविधाओं का अभाव और शिक्षा की जगह पर भोजन पर जोर…

एक ही कमरा, एक ही कक्षा, एक ही शिक्षक – क्या संवर पाएगा झारखंड का भविष्य?

Abhimanyu Kumar
4 Min Read
सरकारी विद्यालय का बेहाल स्थिति,एक शिक्षक एक कमरा और उसी में सवार रह छोटे छोटे बच्चों का भविष्य...
Highlights
  • एक ही कक्षा में पढ़ाई और भोजन – शिक्षा बाधित, बच्चों का ध्यान भटकता।
  • रसोइयों का कम वेतन – मात्र ₹2000, वह भी 2-5 महीने की देरी से।
  • विद्यालय में केवल एक शिक्षक और दो रसोइए कार्यरत।
  • पेयजल संकट – भोजन बनाने के लिए 5 किमी दूर से पानी लाना पड़ता है।
  • जर्जर भवन – बारिश में छत और दीवारों से टपकता है पानी।
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झारखंड सरकार शिक्षा में सुधार को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे काफी अलग नजर आती है। गिरिडीह जिले के उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय लखारी, अंचल गिरिडीह – 02 में शिक्षकों की भारी कमी है। विद्यालय में मात्र एक शिक्षक और दो रसोइए कार्यरत हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार शिक्षा के बजाय बच्चों के भोजन पर अधिक ध्यान दे रही है, जबकि प्राथमिक उद्देश्य शिक्षा होना चाहिए।

एक ही कक्षा में पढ़ाई और भोजन तैयार करने की मजबूरी

विद्यालयों में शिक्षकों की कमी और पर्याप्त कक्षाओं का अभाव बच्चों की पढ़ाई में बाधा बन रहा है। एक ही कक्षा में जहां बच्चों को पढ़ाया जाता है, वहीं मध्यान्ह भोजन भी तैयार किया जाता है। इससे न केवल पढ़ाई बाधित होती है बल्कि बच्चों का ध्यान भी भटकता है। रसोइयों का कहना है कि इस समस्या का जल्द समाधान नहीं किया गया तो शिक्षा की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ेगा।

रसोइयों की मेहनत, लेकिन वेतन में अनदेखी

विद्यालय में कार्यरत रसोइया सरकार पर पक्षपात का आरोप लगाती हैं। उनका कहना है कि सरकार ‘मैय्या सम्मान योजना’ के तहत घर बैठी महिलाओं को 2500 रुपये मासिक और तीन महीने में 7500 रुपये तक देती है, जबकि स्कूलों में दिनभर मेहनत करने वाली रसोइयों को महज 2000 रुपये मिलते हैं। इतना ही नहीं, यह वेतन भी दो से पांच महीने की देरी से मिलता है, जिससे उनके आर्थिक हालात और खराब हो जाते हैं।

पानी लाने के लिए 400 मीटर का सफर

विद्यालयों में पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं है, जिससे रसोइयों को भोजन बनाने के लिए पांच किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है। यह न केवल उनके स्वास्थ्य पर असर डालता है बल्कि विद्यालय में काम करने की उनकी इच्छा शक्ति भी कमजोर होती जा रही है। समय पर वेतन न मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति भी लगातार खराब हो रही है।

विद्यालय में शौचालय नहीं, सड़क पार कर जाना पड़ता है बच्चों को

विद्यालय में शौचालय की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है। बच्चे सड़क पार कर खुले में शौच करने को मजबूर हैं, जिससे उनके लिए दुर्घटना का खतरा बना रहता है। ल

जर्जर भवन में पढ़ाई, बारिश में मुश्किलें बढ़ीं

विद्यालय भवन जर्जर स्थिति में है, जिससे कभी भी दुर्घटना हो सकती है। प्रधानाध्यापक सुधा कुमारी और विद्यालय प्रबंधन समिति ने इस संबंध में शिक्षा विभाग के अधिकारियों को आवेदन देकर विद्यालय भवन के मरम्मत की मांग की है। उनका कहना है कि बारिश के दिनों में छत और दीवारों से पानी टपकता है, जिससे बच्चों को घर भेजना पड़ता है या मुश्किल हालात में पढ़ाई करनी पड़ती है।

छात्रों की मांग – शौचालय और पानी की व्यवस्था हो

छात्रा पम्मी कुमारी ने बताया कि शौचालय न होने के कारण उसे बार-बार अपने घर जाना पड़ता है, जबकि अन्य छात्र खुले में शौच करने को मजबूर हैं।

छात्रा दिव्या कुमारी ने सरकार से विद्यालय में शौचालय और पानी की सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की है।

सरकार को जल्द करनी होगी कार्रवाई

सरकार ‘पढ़ेगा झारखंड, बढ़ेगा झारखंड’ का नारा तो देती है, लेकिन विद्यालयों की दुर्दशा को देखकर इस पर सवाल उठना लाजिमी है। शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए सरकार को जल्द से जल्द इन समस्याओं का समाधान करना होगा, ताकि छात्र बिना कोई परेशानी शिक्षा ग्रहण कर सकें और विद्यालयों में कार्यरत कर्मियों को भी सम्मानजनक स्थिति मिल सके।

 

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